28-Jun-2016
अद्यात्म

ईश्वर के करीब लाता है दया-भाव (अद्यात्म)

दया धर्म मूल है। सभी धर्मग्रंथों में दया पर ही अधिक जोर दिया गया है। अगर आप दया नहीं कर सकते हैं तो आपका यह मानव जीवन निरर्थक है। यह तो उसी प्रकार की बात हुई कि जन्म लिया, खाए-पिए, बड़े हुए, विवाह-शादी हुई, वंशवृद्धि की परिवार को आगे बढ़ाया और कालांतर में जीवन यात्रा पूरी कर पहुंच गए भगवान के घर। ऐ


24-Jun-2016
अद्यात्म

क्या होता है मोक्ष? (अद्यात्म)

जीवन, मरण, लोक, परलोक, स्वर्ग और नरक आदि गूढ़ विषय यदि सद्-साहित्य में तलाशें तो इनके लिए कोई समान सार्वत्रिक नियम नहीं है। परन्तु प्रत्येक जीव की स्कर्मानुसार  वभिन्न गति होती है, यही कर्मविपाक का सर्वतंत्र सिद्धांत है। सार यह निकलता है जीव कि कर्मानुसार स्वर्ग और नरक आदि लोकों को भोगकर पुनर


22-Jun-2016
अद्यात्म

गायत्री मंत्र से अभिव्यक्ति होते है-कर्म, ज्ञान और भक्ति (अद्यात्म)

’ऊँ भूर्भुवः स्वः तत् सवितुर्वरेण्यं भर्गों देवस्य धीमहि धियो यो नः प


21-Jun-2016
अद्यात्म

ज्ञान गंगा (अद्यात्म)

गहराई से श्वास छोड़ने पर एक प्रकार से हम अपनी मनोदशाओं को बाहर फेंक देते है। श्वास को नियंत्रित कर हम बहुत कुंछ अपने मन को भी नियंत्रित कर सकते है। हम श्वास को परिवर्तित करके बहुत कुछ अपने विचारों को परिवर्तित करके बहुत कुछ अपने विचारों को अपनी सोच को परिवर्तित कर सकते है। तीन तत्वों को जोड़ना ही य


21-Jun-2016
अद्यात्म

है आध्यात्मिक विकास में सांस की भूमिका (अद्यात्म)

योग की भाषा में सांस को कूर्म नाड़ी कहा जाता है। कूर्म नाड़ी आपको एक जीव के रूप में शरीर के इस भौतिक रूप से बांधती है। शरीर सिर्फ उन चीजों का एक ढेर है, जो हमने खाया और इकट्ठा किया है। यह सिर्फ धरती का एक टुकड़ा है, जिसे हमने जमा किया है मगर अभी यह आपके रूप में काम कर रहा है क्योंकि यह बहुत अच्छी तर


20-Jun-2016
अद्यात्म

यह तन विष की बेलरी, गुरु अमृत की खान (अद्यात्म)

एक बार किसी ने बताया कि संत रामानंद स्वामी ने सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ लङाई छेड़ रखी है। कबीर उनसे मिलने निकल पङे किन्तु उनके आश्रम पहुँचकर पता चला कि वे मुसलमानों से नही मिलते। कबीर ने हार नही मानी और पंचगंगा घाट पर रात के अंतिम पहर पर पहुँच गये और सीढी पर लेट गये। उन्हे पता था कि संत रामानंद प


15-Jun-2016
अद्यात्म

श्रीराम नाम की महिमा अपरंपार (अद्यात्म)

मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम समसामयिक है। भारतीय जनमानस के रोम-रोम में बसे श्रीराम की महिमा अपरंपार है। एक राम राजा दशरथ का बेटा, एक राम


13-Jun-2016
अद्यात्म

गोतम बुद्ध का मध्य मार्ग (अद्यात्म)

सुंदर पत्नी यशोधरा, दुधमुंहे राहुल और कपिलवस्तु जैसे राज्य का मोह छोड़कर सिद्धार्थ तपस्या के लिए चल पड़े। वह राजगृह पहुंचे। वहां उसने भिक्षा मांगी। सिद्धार्थ घूमते-घूमते आलार कालाम और उद्दक रामपुत्र के पास पहुंचे। उनसे उसने योग-साधना सीखी। समाधि लगाना सीखा, पर उससे उन्हें संतोष नहीं हुआ। वह उरुवेला


12-Jun-2016
अद्यात्म

आत्म-जागरण ही सच्ची चेतना है (अद्यात्म)

हमारे जीवन की विडम्बना यही है कि हम शारीरिक रूप से तो जागते रहते हैं, लेकिन चेतना के स्तर पर उसी तरह सोए रहते हैं, जैसे कि शकुन्तला सो गई थी। जागते हुए जब जागने का एहसास हो, तो यह सजग होने की पहली सीढ़ी है। उठने के साथ ही तो हमें एहसास हो जाता है कि हम जग गए। लेकिन इसके कुछ मिनट बाद ही यह एहसास ति


09-Jun-2016
अद्यात्म

पंथ अर्थात मंजिल तक पहुंचाने वाला मार्ग (अद्यात्म)

गीताजी के चौथे अध्याय के ग्यारहवें श्लोक की दूसरी पंक्ति में श्रीकृष्ण कहते हैं, ‘लोग भिन्न-भिन्न मार्गों द्वारा प्रयत्न करते हुए अंत में मेरी ही ओर आते हैं।‘‘पंथ‘ अर्थात मार्ग, रास्ता, सड़क, रोड, जो मंजिल तक पहुंचाता है। यहां मंजिल है-धर्म। अब तक की मुख्य और मनोवैज्ञानिक च