नकल की सजा

Posted on 04-Aug-2016 12:02 PM




चूड़ामणि नाम का एक भोलाभाला गरीब आदमी था जो खुद के लिए बड़ी मुश्किल से पेट भरने के लिए दो जून की रोटी जुटा पाता था। एक दिन चूड़ामणि ने विचार किया की उसे अब जंगल में जाकर तप करना चाहिए शायद उसकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान उसे खूब सारा धन दे देंगें। वह घनघोर जगल में गया और घोर तपस्या करने लगा। एक रात सोते समय उसे भगवान ने स्वप्न में कहा बेटा मैं तुम्हारी भक्ति से बहुत ही प्रसन्न हूँ । तुम जो तपस्या कर रहे हो किसलिए कर रहे हो मैं अच्छी तरह से जानता हूँ । अब तुम तपस्या छोड़कर अपने घर लौट जाओ । घर जाते समय रास्ते में तुम्हें एक बड़ का विशाल वृक्ष मिलेगा । वहाँ तुम पहिले अपना मुंडन कराना फिर उस पेड़ के पास जाना । उस पेड़ के नीचे तुम्हें एक साधु बाबा तपस्या करते हुए मिलेंगें । उनकी डंडे से पहिले खूब पूजा अर्चना करना और इतनी धुनाई करना की वे बेहोश हो जाएँ। तुम्हारी सारी मनोकामना पूर्ण हो जाएगी और तुम खूब धनवान व्यक्ति हो जाओगे इतना सुनते ही चूड़ामणि की नींद खुल गई और वह बहुत ही बेसब्री के साथ सुबह होने का इंतजार करने लगा। चूड़ामणि ने ठीक वैसे ही किया जो उससे भगवान ने स्वप्न में कहा था । वह अपने घर वापिस लौट गया और उस पेड़ के नीचे उसे तपस्या करता हुआ एक साधु दिखा और उसने डंडे से उस साधु की खूब धुनाई की । देखते ही देखते वह साधु एक सोने के कलश के रूप में बदल गया । चूड़ामणि की यह सारी क्रिया दूर से मोहल्ले का हरिराम नाई देख रहा था। उसने भी सोचा की वह किसी साधु की डंडे से खूब धुनाई करेगा और वह साधु भी सोने के कलश के रूप में बदल जायेगा और देखते ही देखते वह भी चूड़ामणि की तरह धनवान व्यक्ति बन जायेगा। उसने ताऊ जी का लठ्ठ खरीदा। रास्ते में उसे एक साधु दिख गया तो हरिराम नाई ने लठ्ठ से उस साधु की बड़ी जोरदार धुनाई की उस साधु के प्राण पखेरू उड़ गए। राज्य के सैनिकों ने हरिराम नाई को हत्या के जुर्म में बंदी बनाकर जेल में पहुँचा दिया। राजा ने हरिराम नाई को साधु की हत्या करने के आरोप में फाँसी की सजा सुना दी।

शिक्षा - इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि कभी किसी की नकल नहीं करना चाहिए। हमें सोच विचार कर कार्य करना चाहिए।


Leave a Comment:

Login to write comments.