सफल नेतृत्व के ये होते है गुण

Posted on 10-Jul-2015 12:47 PM




अविचल साहस: यह साहस स्वयं के ज्ञान और अपने व्यवसाय के ज्ञान पर आधारित होता है। कोई भी अनुयायी नहीं चाहता कि उसके लीडर में आत्मविश्वास और साहस का अभाव हो। कोई भी बुद्धिमान अनुयायी ऐसे लीडर को लंबे समय तक नहीं झेल पाता।

आत्म-नियंत्रण: वह आदमी जो खुद को नियंत्रित नहीं कर सकता, दूसरों को कभी नियंत्रित नहीं कर सकता। अनुयाइयों के सामने आत्म-नियंत्रण एक शक्तिशाली मिसाल बन जाता है जिसे वह अनुयायी सीख लेता है जो अधिक बुद्धिमान होता है। 

न्यायपूर्ण आचरण: न्यायपूर्ण आचरण के बिना कोई लीडर अपने अनुयाइयों का सम्मान न तो हासिल कर सकता है, न ही उसे लंबे समय तक बनाए रख सकता है। 

निर्णय की निश्चितता: जो आदमी ढुलमुल निर्णय लेता है वह बताता है कि उसे खुद पर विश्वास नहीं है और ऐसा आदमी दूसरों का सफलतापूर्वक नेतृत्व नहीं कर सकता।

योजनाओं की निश्चितता: सफल लीडर अपने काम की योजना बनाता है और योजना पर काम करता है। जो लीडर व्यावहारिक और निश्चित योजनाओं के बिना केवल अंदाजे से काम करता है वह उस जहाज की तरह होता है जिसमें रडार न हो। देर-सबेर वह चट्टानों से टकराकर नष्ट हो जाएगा। 

जतना मिले, उससे ज्यादा देने की आदत: लीडरशिप की सजाओं में से एक यह है कि लीडर अपने अनुयाइयों से जितने की आशा करता है उसे स्वेच्छा से उससे अधिक देने के लिए तैयार रहना चाहिए। 

सुखद व्यक्तित्व: कोई भी बेतरतीब या लापरवाह आदमी सफल लीडर नहीं बन सकता। लीडरशिप के लिए सम्मान चाहिए। अनुयायी ऐसे लीडर का सम्मान नहीं करेंगे जिसे सुखद व्यक्तित्व के सभी तत्वों में अच्छे अंक न मिलें। 

सहानुभूति और समझ: सफल लीडर को अपने समर्थकों के प्रति सहानुभूति रखनी चाहिए। यही नहीं, उसे उन्हें और उनकी समस्याओं को भी समझना चाहिए।

विवरण की कुशलता: सफल लीडरशिप के लिए यह भी जरूरी है कि वह लीडर की स्थिति के विवरण में भी पारंगत हो। 

पूरी जिम्मेदारी लेने की इच्छा: सफल लीडर को अपने समर्थकों की गलतियों और कमियों की पूरी जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार रहना चाहिए। अगर वह इस जिम्मेदारी को दूसरे पर थोप देता है तो वह लीडर नहीं बना रहेगा। अगर उसका कोई समर्थक कोई गलती करता है और अपने आपको अयोग्य सिद्ध करता है तो लीडर को यह मानना चाहिए कि गलती उसी की है और वही असफल हुआ है। 

सहयोग: सफल लीडर को मिलकर प्रयास करने के सिद्धांत को समझ लेना चाहिए और उस पर अमल करना चाहिए और अपने अनुयाइयों को भी ऐसा ही करने के लिए प्रेरित करना चाहिए। 


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