बिना क्रीम के चमकाएँ त्वचा को

Posted on 20-May-2015 02:10 PM




त्वचा का रंग व वर्ण:-
त्वचा शरीर की सबसे बड़ी व विशाल ग्रंथि होती है। हमारे पूरे शरीर में 70 लाख छिद्र होते हैं। इन छिद्रों से ताजी हवा छनकर अंदर जाती है तथा इन छिद्रों से हम श्वसन क्रिया करते हैं। पसीने के साथ यूरिक एसिड, यूरिया आदि अवशिष्ट पदार्थ या जहरीले पदार्थ बाहर निकलते हैं। प्रत्येक कोशिका इनसे नया जीवन शुरू करती है।
त्वचा पर तरह-तरह के क्रीम, पाउडर, साबुन, सुगंधित रसायनों का प्रयोग करके हम रोम छिद्रों को बंद करते हैं। जिससे त्वचा में रोग पैदा होते हैं तथा वर्ण बदल जाता है। इससे त्वचा किसी की काली, फंुसीयुक्त, मोटी धब्बे, दाग युक्त व नीली हो जाती है। पेट्रोलियम धागे के वस्त्र टेरीलिन, टेरीकोट या सिंथेटिक वस्त्र तथा एकदम टाइट वस्त्र पहनने से भी त्वचा को नुकसान होता है। किसी व्यक्ति की त्वचा तैलीय, रूखी, पतली, मोटी व बदबूदार होती है। त्वचा में फोड़े, फंूसी, दाद, खाज, खुजली होना भी आम बात है। त्वचा शरीर का एक आवरण है जो बाहरी पदार्थांे से आन्तरिक शरीर की रक्षा करती है। इसलिए बीमार होने पर त्वचा का रंग बदल जाता है। पूरी तरह त्वचा का रंग बदलने में 27 दिन लगते हैं।है। इसलिए बीमार होने पर त्वचा का रंग बदल जाता है। पूरी तरह त्वचा का रंग बदलने में 27 दिन लगते हैं।

उपचार:-
    दाद, खाज, खुजली, फंुसी होने पर नीम के पानी से नहाएँ। उसके बाद सरसोें के तेल से (गुनगुनी धूप में बैठकर) मालिश करें। 
    सरसों के तेल में आक के पत्तों की राख, गंधक व कपूर मिलाकर लगाएँ।
    नीम के पत्तों का रस, मेहंदी के पत्तों का रस, संतरे का रस, चिकनी मिट्टी मेें बराबर लेकर शरीर पर लगाएँ।

रूखी त्वचा में:-
    शहद, मलाई या शहद, मक्खन मिलाकर लगाएँ।
    तेल या ग्वारपाठा, दूध या दही या घी शरीर पर लगाकर गीले तौलिये से स्पंज करें।
    केला या आम को पूरे शरीर में रगड़कर ठंडे पानी से नहाएँ।तैलीय त्वचा में:-
    मुल्तानी मिट्टी से स्नान करें। 
    काली मिट्टी को पूरे शरीर पर लगाकर सूखने के बाद स्नान करें। 
    भाप स्नान करें या गरम पानी से शरीर को पौंछे। 
    हल्दी व आटा मिलाकर पूरे शरीर को रगड़कर साफ करें। 
    गुलाबजल व ग्लिसरीन मिलाकर पूरे शरीर पर लगावें। स्नान करने के बाद सूखे तौलिये से रगड़ें।

सभी तरह की त्वचा में:-    गिलोय 5 ग्राम व असंध 5 ग्राम उबालकर पीवें तथा ऊपर से अंगूर, संतरा, मौसम्मी का रस लेवें।
    मजीठ या चिरायता का काढ़ा पीवें तथा रात को भीगा मुनक्का खावें।
    खदिर की छाल का काढ़ा बनाकर पीवें या छाछ पीवें या नीबू की शिकंजी लें।
    खीरा ककड़ी का रस, ज्वारे का रस, गाजर का रस या पुदिन हरा का रस तो रामबाण है।
    तेज धूप से बचें।


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