मेहनत की कमाई

Posted on 22-Jun-2016 02:19 PM




जीवन एक अपार संभावनाओं की नदी है। यह आप पर निर्भर करता है कि आप बाल्टी लेकर खड़े हैं या चम्मच लेकर। किसी गांव में हरि नाम का एक ईमानदार व मेहनती व्यक्ति रहता था। इसके ठीक विपरीत उसका बेटा घोर आलसी और निकम्मा थां। मेहनत कर पैसा कमाना उसके स्वभाव में नहीं था। यदी वह कुछ कमाकर लाता भी तो बेईमानी और जालसाजी से। एक दिन हरि ने समझाया, “बेटा अब मैं वृद्ध हो गया हूँ। काम करने की पहले जैसी सामथ्र्य नहीं रही। अब तुम कुछ ठीक-ठीक काम करके पैसा कमाओ और घर चलाओ। अब मैं शेष जीवन भजन-पूजन में बिताना चाहता हूँ।” पहले तो उसको अकर्मण्य बेटा बात को टालता रहा, किंतु पिता के अधिक दबाव के चलते मान गया। अगले दिनवह काम पर गया और शाम को लौटकर अपनी कमाई पिता के हाथ में रख दी। पिता ने वह सारा पैसा सामने जल रहे चूल्हे में डाल दिए और चुपचाप अन्दर चला गया। अगले दिन भी ऐसा ही हुआ। तीसरे दिन उसे काम से लौटने के बाद पिता ने पुनः पैसे आग में डालने की कोशिश की, किंतु इस बार उसने पिता के हाथ पकड़कर कहा, “पिताजी मेहनत की कमाई है। यह देखिए, काम कर करके मेरे हाथों में छाले पड़ गए है।” उसके हाथों के छाले और चेहरे पर भाव सत्य देख कर पिता ने कहा, “कल तक पैसा को आग में डालते समय तुम्हारे चेहरे पर शिकन तक नहीं थी, क्योंकि वह बेईमानी की कमाई थी।” आज तुम्हारी पीड़ा बता रही है कि तुमने वास्तव में परिश्रम किया है। अब मुझे कोई चिंता नही है क्योंकि तुमने वास्तव में परिश्रम किया है। तुमने मेहनत और साहस से सच्ची कमाई की है। परिश्रम पूर्वक कमाया गया पैसा जरूर आत्मिक शक्ति देता है। परिश्रम विहीन कमाया गया पैसा क्षणिक सुख तो अवश्य देता है मगर शान्ति कदापि नहीं। अतः जीवन ऐसे जिओ, कि आपके द्वारा सम्पन्न प्रत्येक कार्य दूसरों के लिए आनन्द का कारण बन सके।

-स्वामी अवधेशानंद गिरि जी


Leave a Comment:

Login to write comments.