अपना दुःख हर एक को न बताएं

Posted on 15-May-2015 12:38 PM




कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो हर एक को अपनी बीमारी बताते हैं, ’मुझे ऐसा दर्द होता है.......... ऐसी पीठ दुखती है............... ऐसा सिर दर्द होता है....... वैसा कमर का दर्द रहता है........।’ आज तक जितने भी लोग उन्हें मिले हैं, सबको उन्होंने अपनी दुःखों की कहानी बतायी और एक बार नहीं बतायी बल्कि कई बार बतायी। यदि उनसे पूछें कि तुम्हारे बारे में लोग क्या सोचते हैं ? तब हो सकता है यही जवाब आये कि ’बीमार इंसान, परेशान इंसान, दुःखी इंसान, इसके जैसा दुःखी शायद ही इस दुनिया में कोई होगा।’
क्या आपके बारे में लोग ऐसे विचार रखते हैं ? यदि हाँ तो उनके विचारों का असर आप पर भी हो रहा है। आपको पता है, जो लोग मंगली हैं, उनकी शादी पहले तुलसी या मटके से करवाते हैं। ऐसा क्यों ? क्योंकि वह शादी जब हो जायेगी तब सभी लोगों के विचार सकारात्मक हो जायंेगे। अगर ऐसा नहंीं किया गया तो हर रिश्तेदार यही सोचेगा कि ’लड़का मंगली है और लड़की मंगली नहीं है, अब कुछ तो बुरा जरूर होगा।’ फिर सभी के विचार उनके प्रति नकारात्मक ही रहेंगे। हर एक यही विचार करेगा कि ’अब इनके जीवन मेें कुछ तो नकारात्मक होने वाला है।’ यदि इतने सारे लोग उनके बारे में इस तरह नकारात्मक सोच रखते हों तो क्या होगा ? यकीनन उनके जीवन में नकारात्मक विचारों का असर होने ही वाला है।

इसलिए आप स्वयं अपने बारे मेें सकारात्मक विचार रखें, जिससे आपके पास-पड़ोस वाले भी आपके बारे में सकारात्मक विचार ही रखेंगे। हमारे पूर्वजों ने जो प्रथाएँ बनायीं, वे कुछ सोच-समझकर बनायीं। जैसे लोगों के नकारात्मक विचारों पर रोक लगाने के लिए मंगली की शादी पहले तुलसी से करवायी जाती है। अब यदि आप दुःख में भी हैं तो हर एक को यह मत बतायें। लोगों के पूछने पर उन्हें यही कहें कि ’अभी मैं ठीक हो रहा हूँ।’ हाँ मगर अपनी बीमारी डाॅक्टर को जरूर बतायें, बिना कारण हर एक को बताते रहना बंद करें। दूसरों को आप अपने लिए प्रार्थना करने के लिए जरूर कह सकते हैं। वरना सभी को अपना दुःख बताने से सब आपको दुःखी ही समझते हैं। फिर उनके विचारों का असर भी आप पर होता है। वर्तमान में केवल सकारात्मक विचार रखें, सकारात्मक बातें करंे ताकि दूसरे भी आपके बारे में सकारात्मक ही सोचें।


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