भगवान बुद्ध की शिक्षाऐं

Posted on 06-Jul-2016 11:49 AM




सम्यक् दृष्टि - सम्यक् दृष्टि का अर्थ है कि जीवन में हमेशा सुख-दुःख आता रहता है हमें अपने नजरिये को सही रखना चाहिए, अगर दुःख है तो उसे दूर भी किया जा सकता है।

सम्यक् संकल्प - इसका अर्थ है कि जीवन में जो काम करने योग्य है, जिससे दूसरों का भला होता है हमें उसे करने का संकल्प लेना चाहिए और ऐसे काम कभी नहीं करने चाहिए जो अन्य लोगों के लिए हानिकारक साबित हो।

सम्यक् वचन - मनुष्य को अपनी वाणी का सदैव सदुपयोग ही करना चाहिए, असत्य, निंदा और अनावश्यक बातों से बचना चाहिए।

सम्यक् कर्मांत - मनुष्य को किसी भी प्राणी के प्रति मन, वचन, कर्म से हिंसक व्यवहार नहीं करना चाहिए, उसे दुराचार और भोग विलास से दूर रहना चाहिए।

सम्यक् आजीविका - गलत, अनैतिक या अधार्मिक तरीकों से आजीविका प्राप्त नहीं करना चाहिए। सम्यक्

सम्यक् व्यायाम - बुरी और अनैतिक आदतों को छोड़ने का सच्चे मन से प्रयास करना चाहिए, मनुष्य को सद्गुणों को ग्रहण करने के लिए हमेशा तत्पर रहना चाहिए।

सम्यक् स्मृति - इसका अर्थ यह है कि हमें कभी भी यह नहीं भूलना चाहिए कि सांसारिक जीवन क्षणिक और नाशवान है।

सम्यक् समाधि - ध्यान की वह अवस्था जिसमें मन की अस्थिरता, चंचलता, शांत होती है तथा विचारों का अनावश्यक भटकाव रूकता हैं।


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