प्रोत्साहन की शक्ति

Posted on 04-Aug-2016 12:00 PM




एक दिन थॉमस अल्वा एडिसन जो कि प्रायमरी स्कूल का विद्यार्थी था, अपने घर आया और एक कागज अपनी माताजी को दिया और बताया-  ‘‘मेरे शिक्षक ने इसे दिया है और कहा है कि इसे अपनी माताजी को ही देना..!’’ उक्त कागज को देखकर माँ की आँखों में आँसू आ गये और वो जोर-जोर से रो पड़ीं, जब एडीसन ने पूछा कि ‘‘इसमें क्या लिखा है..?’’तो सुबकते हुए आँसू पोंछ कर बोलीं:- इसमें लिखा है.. आपका बच्चा जीनियस है हमारा स्कूल छोटे स्तर का है और शिक्षक बहुत प्रशिक्षित नहीं है, इसे आप स्वयं शिक्षा दें । कई वर्षों के बाद उसकी माँ का स्वर्गवास हो गया। थॉमस केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अनिल माधव दवे ने विश्व भर के पर्यटकों को बाघ देखने के लिए भारत आने का आमंत्रण दिया। एक समारोह को संबोधित करते हुए दवे ने छात्रों से बाघों के संरक्षण के लिए अपील की। दवे ने कहा कि विभिन्न स्कूलों से यहाँ छात्र इसलिए एकत्रित हुए हैं क्योंकि यह सभी अपने आप में टाइगर हैं। उन्होंने कहा कि भारत के लोग बाघों से प्यार करते हैं और बाघों के संरक्षण के कारण भारत में 2,226 बाघ हैं जो कि विश्व भर में बाघों की आबादी का 70 फीसदी है। पर्यावरण मंत्री ने कहा कि देशभर में 17 राज्यों और 49 अभ्यारण्यों में बाघ पाए जाते हैं।उन्होंने कहा कि एक स्वस्थ बाघ स्वस्थ पर्यावरण का प्रतीक है। दवे ने जोर देकर कहा कि भारत सेंट पीट्र्सबर्ग के लक्ष्य जिसे टी ’2 के रूप में जाना जाता है, को प्राप्त करने की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है। एल्वा एडिसन जग प्रसिद्ध वैज्ञानिक बन गये। उन्होनें कई महान अविष्कार किये, एक दिन वह अपनी पारिवारिक वस्तुओं को देख रहे थे। आलमारी के एक कोने में उन्होनें कागज का एक टुकड़ा पाया उत्सुकतावश उसे खोलकर देखा और पढ़ने लगा। वो वही कागज था.. उस कागज में लिखा था- आपका बच्चा बौद्धिक तौर पर कमजोर है और उसे अब और इस स्कूल में नहीं आना है। एडिसन अवाक् रह गये और घण्टों रोते रहे, फिर अपनी डायरी में लिखा एक महान माँ ने बौद्धिक तौर पर कमजोर बच्चे को सदी का महान वैज्ञानिक बना दिया, यही सकारात्मकता और सकारात्मक पालक (माता-पिता) की शक्ति है ।


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