सम्पादकीय 23 जुलाई

Posted on 23-Jul-2015 02:59 PM




सृष्टि का सृजनकता्र ईश्वर एक है किन्तु उसके नाम अनेक हैं। मानव-जाति भी एक है। हम सब सृष्टि के रचयिता एक ही परमात्मन् की कलाकृति और भाई-भाई है। अपने भाइयों से द्रोह किसी भी सूरत में श्रेयस्कर नहीं है। सब मिलजुल कर भाईचारे के साथ आपसी सहयोग और सौहर्द्र से रहो क्योंकि इस धरती पर कोई बेगाना नहीं है।  सबको चाहिए कि वे शान्ति से रहें और जीयें तथा शान्ति से धरती के अपने भाईयों को भी जीने देे। किसी की हत्या न करें किसी को नहीं लूटे और किसी को किसी भी प्रकार की पीड़ा न दें। पापों का भार न बढ़ाएँ चूँकि पापों का प्रतिफल भोगना ही पड़ेगा। आदमी को भोजन, वस्त्र  और निवासस्थल पूर्ण ईमानदारी से काम करने पर भी उपलब्ध हो सकते हैं। शान्तिकामी लोगों को चाहिए कि वे सुखी जीवन के लिए अपव्यय और दुव्र्यसनों से अपने आपको अवश्य बचाये रखें जीवन से निठल्लेपन को निकाल दें और उपलब्ध समय का पूर्ण सदुपयोग करे। घर में सबसे प्रेमपूर्वक रहें और बड़ों का आदर करें। स्वाध्याय और सत्संग के लिए रात को सोने तक भी अपनी सुविधानुसार प्रतिदिन कुछ नियमित समय अवश्य निकालें। सोते समय मस्तिष्क के विचारों के सम्पूर्ण बोझ को उतार दें और हृदय से एकाग्र होकर ईश्वरस्मरण करते हुए सो जायें ताकि स्वस्थ और निर्दाेष नींद आ सके, परिणामस्वरूप तन-मन का आरोग्य प्राप्त करके एवं उसे बनाये रख कर सुखी रह सकें। ब्राह्मुहूर्त एवं भोर में शुभ दिशा में किया गया नियमित चिंतन तुम्हारे जीवन को श्रेष्ठतम दिशा दिये रखने में मदद करेगा। अतीत के बुरे भले संचित कर्मों से वर्तमान जीवन अवश्य प्रभावित होता रहता है। शरीर के साथ कर्मों के सृजन में मानसिक सोच ही जिम्मेदार होती है। मानसिक सोच को सत्य करूणा और पवित्रता का दायरा मत लांघने दो। अपने को बिना लगाम के घोड़े की तरह मत छोडो तथा पवित्र नियमों में जीवन को बाध कर रखो। आलस्य से बचो और कर्तव्य से भूलकर भी मत डिगो। जीनासीखो ताकि तुम्हें शान्ति से मरना भी आ जाये क्योंकि जन्मने वाले की मृत्यु निश्चित है। पाप आदमी की भूलें-चूकें हैं जिनमें सुधार संभव है। आज हम जितने बुरे हैं, कल हम उतने ही अच्छे बन सकते हैं। मेरे आदरणीय और प्रिय पाठक! अभी से दृढ निश्चय करे कि वहा प्रत्यक्षा अपनी तमाम बुराईयों को छोड़ रहा है, विश्वास करों आप अपने अगले कदमों एवं भविष्य में होने वाली सभी प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष बुराइयों से बच सकोगे। यही बुराई से भलाई की तरफ बढने और जीवनशोधन की प्रक्रिया है जो सब प्रकार से कल्याणकारी है।


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