सम्पादकीय 7 जून

Posted on 07-Jun-2015 03:33 PM




मनुष्य बहुत कुछ कामनाएँ रखता है। यह चाहिए, वह चाहिए पर जो कुछ वह चाहता है, उसमें से कितना पूरा होता है? शायद नहीं के बराबर। जो चाहें सो पाएं, वाली बात इसी कारण आश्चर्यजनक लग सकती है। भला यह कैसे संभव है? हम जो चाहें सो पाएँ-कैसे हो सकता है? अधिकांश इस पर विश्वास ही न करें, पर दुनिया के एक नहीं लाखों दृष्टांत इस बात के प्रमाण हैं कि जो चाहा, सो पाया....... आखिर कैसे ? 
कोई चमत्कार या जादू के बल पर नहीं, वरन् अपने अन्तःकरण की शक्ति के बल पर पाया। भाग्य या अवसर की प्रतीक्षा करने वाले लोगों को चिंतकों और मानव ज्ञान शास्त्रियों ने निकम्मा और मूर्ख माना है।  भाग्य और अवसर नाम की कोई चीज नहीं होती है। ’जब भाग्य होगा अपने आप काम हो जाएगा’ या अभी अवसर कहाँ आया है’। अवसर आते ही सारा काम बन जाता है। इस तरह की भावनाएँ केवल अपनी असफलता पर परदा डालने की कोशिश है। इस तरह हम अपनी कमजोरियाँ छिपाते हैं। वास्तव में भाग्य और अवसर नाम की कोई चीज नहीं है। यह केवल मन का वहम मात्र है। कोई भी कार्य करने का अवसर या भाग्य देखना निहायत बेतुकी बात है। जो कर्मयोगी हैं, वह कभी इसकी प्रतीक्षा नहीं करते। धन कुबेर राकफैलर का कथन था, ’मैंने कभी भाग्य और अवसर की प्रतीक्षा नहीं की, जब भी काम की बात मन में आई, शुरु कर दिया। मैंने अपने जीवन में प्रत्येक क्षण को ही भाग्य और अवसर माना है।’ अतएव भाग्य या अवसर की प्रतीक्षा करना अपनी सफलता को पीछे फेंक देना है। हो सकता है कि जब तक इतना समय निकल जाए कि आप करने पर भी न पा सकें। यदा-कदा भाग्य के फेर में भी मनुष्य अपने जीवन को दुःख सेे भर लेता है।
अतएव भाग्य या अवसर की प्रतीक्षा न कर आप अपना कार्य शुरू कर दें।ं दूसरों को देखें - लोग उनकी प्रशंसा करते हैं-’कितना भाग्यशाली है अमुक-’ ’अमुक का सितारा बड़ा बुलंद है’ -पर क्या ’अमुक’ के जीवन में झांकने की कोशिश की कि ’अमुक’ आज जिस शिखर पर है, उस तक पहुंचने के लिए ’अमुक’ ने कितना कठोर परिश्रम किया है? अमुक ने क्या-क्या संकट नहीं बर्दाश्त किए? यह तो ’अमुक’ का दिल जानता होगा कि वह कैसे उस स्थान तक आया है? दूसरों का सुख, वैभव देखकर आपको ईष्र्या होती है, पर उस सुख को भोगने वाले दिलों से पूछिए कि कैसे पाया है यह सब ?............... और अपने आपको बनाए रखने के लिए उनको अभी भी क्या-क्या करना पड़ रहा है ? अतएव जब तक आप इस महत्व को नहीं जानेेेंगे और केवल ’अवसर’, ’भाग्य’ की राह देखते रहेंगे, तब तक आप कुछ नहीं कर सकते हैं।


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