आत्मविश्वास ही है सफलता का साधन

Posted on 05-May-2016 11:33 AM




साहस से आशय उस आंतरिक शक्ति से है, जो किसी व्यक्ति को कार्य करने के लिए प्रेरित करती है। साहस को प्रभावित करने वाले मुख्य तत्व हैं एहसास, दृष्टिकोण और भावना। साहस समृद्धि की राह बनाता है और साहस बिना सफलता प्राप्त नहीं हो
सकती। साहस हेतु मनुष्य में तत्परता, सतर्कता, उद्यम और दृढ़निष्ठा नामक गुण होने आवश्यक हैं, वही लगन,हिम्मत, आत्मविश्वास और मनोबल के बिना कोई भी लक्ष्य या मंजिल नहीं मिल सकती। यह शरीरिक बल, मनोबल और धनबल की तुलना में अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। डरपोक प्रकृति वाले, भयभीत व आशंका से ग्रस्त व्यक्ति असंमजसता में पड़कर अवसर का लाभ नहीं उठा पाते हैं और निर्णय न ले सकने के कारण असफल हो जाते हैं। खोने का डर, असफलता का भय और आशंका की चिन्ता रखने वाला व्यक्ति या तो निर्णय ले नहीं पता या फिर इतनी देर से निर्णय लेता है कि उसका लाभ उसे नहीं मिल पाता। साहस व्यक्ति में तभी आता है, जब उसके पास कुछ करने का उद्देश्य हो, मकसद हो और उसमें उस कार्य को करने का जुनून हो, जिस कार्य के प्रति हमारे मन में हीनभावना होती है, वह कार्य हमसे नहीं हो पाता। साहस एक अंतहीन सिलसिला है, जिससे हमें हर बार एक नया आत्मविश्वास मिलता है और ज्यों ज्यों हम नई चुनौतियों को स्वीकार करते हैं, हमारा साहस व हिम्मत बढती जाती है और मन के अन्दर छिपा भय खत्म होता चला जाता है। अगर हम साहस का मतलब हिम्मत या कठिन काम करने को ही कहते हैं तो क्रूर आतंकवादी भी तो दुस्साहसपूर्ण कार्य करते हैं परन्तु सच्ची साहसिकता, शुद्ध रीति-नीति, प्रखरता व पवित्रता के साथ मानवीय पथ पर चलते हुए अंतः प्रेरणा व आत्मविश्वास के साथ कार्यों को संपन्न करना सही मायने में साहस है। साहस ही ऐसी शक्ति है, जो असंभव को संभव बनता है और जो इसका महत्व समझ लेता है, वह अपने लक्ष्य को प्राप्त करके ही दम लेता है। कौन क्या करता है और कितना सफल होता है, इस बात का महत्व नहीं होता, बल्कि महत्व इस बात का होता है कि किसने कितने लगन, निष्ठा, विश्वास और आत्मविश्वास के साथ कार्य को संपन्न करने में अपनी शक्ति लगाई और जितनी मजबूती व शक्ति के साथ अवरोधों को दूर करने तथा दृढ़भाव से लक्ष्य की तरफ चलते हुए साहसपूर्ण कदम उठाया। साहस ही सफलता के लक्ष्य तक पहुँचा सकता है।


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