विचारों में है शक्ति

Posted on 10-Jun-2016 10:12 AM




एक बार एक राजा के मंत्री ने चाहा कि राजा को सिद्ध करके दिखाए कि विचार कितने शक्तिशाली होते हैं, अतः उसने राजा से कहा कि जब अमुक व्यक्ति उनकी ओर आये तो वे (राजा) उस आदमी के बारे में बुरा सोचते रहें। राजा ने बीरबल की बात मानी और मन ही मन अपनी ओर आते व्यक्ति के बारे में बुरा सोचते रहे। जब वह व्यक्ति पास आया तो राजा ने पूछा,” जब तुमने मुझे पहली बार देखा, तो तुमने क्या सोचा?” उस व्यक्ति ने उत्तर दिया”अचानक मेरे मन में बहुत जबरदस्त ख्याल आया कि मैं आप के ऊपर प्रहार करूँ।”उस इन्सान द्वारा ऐसा सोचने की कोई वजह नहीं थी, पर उसके प्रति राजा के हिंसक विचारों का असर अनजाने में उस पर पड़ा और उसने वैसी ही प्रतिक्रिया की। हमारी भावनाएं केवल दूसरों को ही नुकसान नहीं पहुंचाती, बल्कि अंत में हमारा अपना नुकसान भी कर सकती हैं। जो समय हम दूसरों का बुरा सोचने में लगाते हैं, वह ऐसा समय है जब हम स्वयं को मिले बेशकीमती समय को बर्बाद करते हैं। दूसरों की आलोचना में लगाया गया समय हमें प्रभु से मिलने के हमारे लक्ष्य को दूर कर देता है। सर्वप्रथम, अगर हम दूसरों का बुरा सोचते हैं, तो हम ध्यानाभ्यास में ध्यान नहीं टिका पाते हैं। दुसरे वो विचार हमारे साथ दिन भर रहेंगे, मन में खटकते रहेंगे। तीसरे, हम नए कर्म पैदा करते हैं, जिनका फल हमें अवश्य भुगतना होता है और आखिर में, हम प्रभु की एक संतान के प्रति प्रेम से खाली हो जाते हैं। प्रभु हमसे कैसे खुश होगा जब हम उसके किसी बच्चे के बारे में बुरा सोचेंगे ?


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