यह भी जाने- कैसे होती है बारिश?

Posted on 07-Jun-2016 11:20 AM




गर्मी से जन-जीवन बेहाल है, कड़ी धूप और पसीने वाली इस गर्मी से तो बारिश का मौसम ही निजात दिला सकता है। पशु, पक्षी, खेत सभी को मानसून यानि बरसात का इंतजार रहता है। आपकों भी बरसात का मौसम अच्छा लगता होगा। बारिश में भीगना और फिर चारों ओर फैली हरियाली देखकर मन कितना खुश हो उठता है। हिंद महासागर और अरब सागर से भारत के दक्षिण-पश्चिम तट पर आने वाली हवाओं को मानसून कहते हैं। ये हवाएं पानी वाले बादल ले आती हैं, जो भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश यानी भारतीय उपमहाद्वीप में बरसते हैं। मानसून ऐसी मौसमी पवन है, जो दक्षिणी एशिया क्षेत्र में जून से सितंबर तक चलती रहती है। यानि भारत में चार महीने बारिश का मौसम होता है। आम हवाएं जब अपनी दिशा बदल लेती हैं तब मानसून आता है। केरल के तट से सैकड़ों मील दूर मानसूनी हवाएं अपने साथ नमी लेकर आती हैं, जो धीरे-धीरे भारतीय उपमहाद्वीप की ओर बढ़ती हैं। मानसूनी हवाएं ठंडे से गर्म क्षेत्रों की तरफ बहती हैं तो उनमें नमी की मात्रा बढ़ जाती है, जिस कारण बरिश होती है। हिंद महासागर और अरब सागर की मानसूनी हवाएं हिमालय की ओर बढ़ने से पहले भारत के दक्षिण-पश्चिम तट पर पश्चिमी घाट से टकराती हैं तो केरल और दक्षिण भारत में पहले बारिश होती है। फिर इनमें से बची हुई मानसूनी हवाएं हिमालय की ओर बढ़ती हैं और फिर उत्तर-पूर्व भारत में भारी बारिश करती हैं। इस तरह पूरे भारत में बारिश का मौसम आ जाता है। ये सिलसिला जून से सितंबर तक चलता रहता है। भारत की जलवायु गर्म है, इसलिए यहां पर दो तरह की मानसूनी हवाएं चलती हैं। जून से सितंबर तक चलने वाली मानसूनी हवाएं दक्षिणी पश्चिमी मानसून कहलाती हैं, जबकि ठंडी में चलने वाली मानसूनी हवा, जो मैदान से सागर की ओर चलती है, उसे उत्तर-पूर्वी मानसून कहते हैं। यहां पर अधिकांश वर्षा दक्षिण-पश्चिम मानसून से ही होती है।

सफलता का रास्ता

मेहनत कभी बेकार नहीं जाती। यह विश्वास ही हमें आगे बढ़ने एंव निरंतर प्रयास करने के लिए प्रेरित करता है। हमारा हर प्रयास हमें एक कदम आगे बढ़ाता है और हम जैसे जैसे आगे बढ़ते है वैसे वैसे हमारे लिए सफलता के रास्ते खुलते जाते है।


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