हम पलक क्यों झपकाते हैं?

Posted on 07-Jul-2016 11:32 AM




सामान्य रूप से पलक झपकाना एक अनैच्छिक क्रिया है, लेकिन इस क्रिया को हम इच्छानुसार भी कर सकते हैं। हम औसतन हर छः सेकंड में एक बार पलक झपकाते हैं। इसका अर्थ है कि हर व्यक्ति अपने जीवनकाल में लगभग 25 करोड़ बार पलक झपकाता है। क्या तुम जानते हो कि पलक झपकने की क्रिया क्यों होती है ? पलक झपकने की क्रिया में हमारी पलकें आँखों की मांसपेशियों द्वारा ऊपर-नीचे गति करती रहती हैं। ऊपर की पलकों के नीचे छोटी-छोटी अश्रु ग्रंथियाँ होती हैं। जैसे ही हम पलक बंद करते हैं, वैसे ही इन ग्रंथियों से एक नमकीन द्रव निकलता है। यही द्रव हमारी आँखों को गीला रखता है। जब यह द्रव अधिक मात्रा में निकलता है, तब आँसुओं का रूप धारण कर लेता है। इस प्रकार पलक झपकने की क्रिया द्वारा हमारी आँखें गीली रहती हैं और सूखती नहीं हैं। 24 घंटों में इनसे लगभग 0.75 बार से 1.1 ग्राम तक तरल पदार्थ निकलता है। पलक झपकने से आँखों की रक्षा भी होती है। जब कोई धूल का कण या जलन पैदा करने वाला पदार्थ में चला जाता है, तब पलक झपकाने में निकलने वाला द्रव पदार्थ आँखों की सफाई का काम करता है। पलक झपकने की क्रिया के दौरान धूल के कण या जलन पैदा करने वाले पदार्थ इसी द्रव के साथ बाहर आ जाते हैं। पलक झपकने से बहुत तेज प्रकाश भी हमारी आँखों में प्रवेश नहीं कर पाता। तेज रोशनी में हमारी पलकें स्वयं ही बंद होने लगती हैं, जिससे आँख के पर्दे पर अधिक प्रकाश नहीं पहुँच पाता।


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