लाख टके की बात

Posted on 20-Apr-2015 03:57 PM




    जिसके मन में पाप है, चाहे वह सौ बार तीर्थ करे तो भी शुद्ध नहीं होंगे।
    कमाये हुए धन को उचित व्यय करना ही उस की रक्षा है।
    अपने सुख के दिनों को स्मरण करने से बड़ा दुख और कोई नहीं है।
    सहानुभूति एक ऐसी भाषा है जिसे सभी प्राणी समझते हैं।
    अहिंसा, परोपकार, दया, प्रेम, क्षमा को अपनाने वाला मानव ही धार्मिक कहलाने योग्य है।
    धर्म जीवन का विज्ञान और मानव जीवन की उपलब्धियों को खोजने का मार्ग है।
    अहंकारी मानव न झुकना जानता है न दूसरों का सम्मान करता है।
    धर्म जोड़ना सिखाता है, तोड़ना नहीं। 
    यदि संतोष कड़वा वृक्ष है तथापि इस का फल बड़ा ही मीठा और लाभदायक होता है।
    पहला अपराधी वह है जो अपराध करता है, दूसरा अपराधी वह है जोे अपराध को होने देता है। 
    कर्म ही पूजा है, और कर्तव्य एक भक्ति है।
    जीवन एक उत्सव है, उसे कभी तनाव से मत गुजारो।
    सच्चा दोस्त दर्पण की तरह है, वह तुम्हारी खूबियाँ और कमियाँ एक साथ बताता है।
     किसी की वफादारी का पता संकट काल में चलता है।


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