लौंग की उपयोगिता

Posted on 23-Dec-2015 05:08 PM




लौंग की छोटी-सी काली कली गुणों की खान है। यह कटु, चरपरी, हल्की, कसैली होती है। यह नेत्रों के लिए अत्यंत गुणकारी होती है। यह पाचक तथा रुचि को बढ़ाने वाली होती है। यह कफ-पित्त दोष को शांत करने वाली तथा दूषित रक्त को शुद्ध करने वाली होती है।
लौंग में सूक्ष्म जीवों को मारने की शक्ति होती है, इसलिए ’ऐंटीसैप्टिक’ और एंेटी बायोटिक’ दवाओं में लौंग का इस्तेमाल होता है। टूथपेस्ट और माउथवाश को तो यह खास अंग है। मुंह और गले में लगाई जाने वाली तमाम दवाओं मंें लौंग का तेल मिलाया जाता है।
घरेलू इलाज
खांसी में लौंग को अंगारों पर भून कर फूल जाने के बाद उसे मिश्री के टुकड़े के साथ मुंह में रखने से खांसी बंद हो जाती है। भुनी लौंग को शहद के साथ दिन में तीन बार चाटने से खांसी में आराम मिलता है।
दो लौंग मुंह में रखकर धीरे-धीरे चबाने से या पानी के साथ पीसकर गुनगुना कर सेवन करने से जी मिचलाना बंद हो जाता है।
चार-पांच लौंग को पानी में उबालें। जब उसमें पानी आधा शेष रह जाए तो उसमें मिश्री या शक्कर मिलाकर पीएं। इससे उल्टी में लाभ होगा। इस काढ़े से सिरदर्द में भी आराम मिलता है।
लौंग व हरड़ को पानी में उबाल कर उसमें थोड़ा सेंधा नमक मिलाकर पीने से अपच, अजीर्ण दूर होता है।
पेट का भारीपन, अरुचि, अपचन, डकारों आदि में लौंग के तेल का सेवन फायदेमंद होता है।
दांत के दर्द में लौंग के तेल का फोहा लगाने से आराम मिलेगा। तेल न हो तो लौंग को दांतों के बीच दबाबर खाएं।
पायरिया होने पर दांतों पर लौंग के तेल की मालिश करने और लौंग चूसते रहने से फायदा होता है। इससे सेवन से मुंह की दुर्गंध चली जाती है।
लौंग को भूनकर चाटने से गले की खराश दूर होती है।
किसी भी रूप में लौंग के नियमित सेवन से मूत्र विकार दूर होते हैं।
भिगोई हुई लौंग को पीसकर शीतल पानी और मिश्री के साथ पीने से हृदय की जलन दूर हो जाती है।
संधिवात दर्द, सिर शूल तथा दांत दर्द में लौंग का तेल आराम पहुंचाता है। गठिया में लौंग के तेल की मालिश लाभकारी होती है।


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