इतना ही लो थाली में, व्यर्थ न जाए नाली में।

Posted on 01-Jul-2015 12:48 PM




भोजन जूठा छोड़ना एक सामाजिक अपराध है। यह अच्छी आदत नहीं है। जूठा छोडने से अन्न को अपमान होता है। इससे महंगाई बढ़ती है। पर्यावरण प्रदूषित होता है। लाखों लोगों के मुँह से निवाला छीनता है। इसके अतिरिक्त अनेक नुकसान होते हैं। बढ़ती है। पर्यावरण प्रदूषित होता है। लाखों लोगों के मुँह से निवाला छीनता है। इसके अतिरिक्त अनेक नुकसान होते हैं।  घर पर भोजन जूठा न छोड़े और किसी प्रीतिभोज, रिसेप्शन, जीमण में ंजाएं तेा वहां भी इस बात का ध्यान रखें। इतना ही नहीं, घर पर परिवारजनों को और बाहर इष्टमित्रों को जूठा छोड़ते हुए देखें तो उन्हें रोके।
यह भी एक बड़ी समाजसेवा है। आओ, हम सब मिलकर राष्ट्र निर्माण में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करें।


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