रु.10 हजार से शुरु किया सफाई मिशन, चार दिन में घाट साफ

Posted on 30-Apr-2015 02:29 PM




तेमसुतुला इमसोंग
जन्म: 23 फरवरी 1983
शिक्षा: शिलाॅन्ग से बीए
परिवार: पिता चुंगपांगसुसंग इमसोंग, मां तेमजेनमोंगला, 5 बहनें, 2 भाई।

दर्शिका शाह
जन्म: 24 फरवरी 1993
शिक्षा: दिल्ली से बीकाॅम
परिवार: पिता दीपक कुमार गुजराती, मां कामिनी गुजराती, छोटा भाई दर्पण।

    एक दिन सुबह छह बजे एक दोस्त का फोन आया। उसने बताया कि मोदीजी ने हमारे काम की तारीफ की है। मैं किन शब्दों में अब उस खुशी को जाहिर करूं ये नहीं पता। बस ये कह सकती हूं, घाट साफ करने में जितनी भी थकान थी सारी मिट गई। नागालैंड की तेमसुतुला और दिल्ली की दर्शिका के लिए ये एक सपने जैसा था जो उन्होंने सुबह-सुबह देखा था। मोदी ने उनके मिशन प्रभुघाट की तारीफ की थी।
    तेमसुतुला कहती हैं उन्होंने नागालैंड में पढ़ाई करने के बाद परिवार की मदद के लिए दिल्ली में नौकरी शुरू की। ब्रिटिश काउंसिल में आॅनलाइन इंग्लिश पढ़ाती थी। लेकिन उन दिनों उन्हें सोशल वर्क के लिए समय नहीं मिल पाता था। फिर नौकरी छोड़ वह वाराणसी चली आई। तेमसुतुला और दर्शिका ने 2012 में शूलटंकेश्वर घाट की सफाई की थी। वह पहला घाट था जिसे इन दोनों ने अपनी टीम के साथ साफ किया था। 
तेमसुतुला नागालैंड की रहने वाली हैं। सात भाई बहनों में उनका नंबर छठा है। कहती हैं घर में उन्हें कभी कोई बड़ी जिम्मेदारी नहीं दी गई। अपनी मर्जी के काॅलेज में पढ़ीं और जहां मर्जी आई उस शहरों में रही। यही कारण था कि जब सोशल वर्क को कॅरिअर बनाने का फैसला किया तब भी परिवार ने कोई सवाल नहीं उठाया। वह उत्तराखंड त्रासदी की घटना को अब तक की सबसे बड़ी चुनौती मानती हैं। कहती हैं अपनी टीम के साथ वह उत्तराखंड में थीं। वहां 11 गांवों के लोग फंसे हुए थे। उन्होंने फाटा के पास एक रोप-वे बनाकर उन लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला था। वह रोप-वे आज भी इस्तेमाल किया जाता है। 
    इस साल फरवरी में दोनों नौकाविहार कर रही थीं, तब नजर प्रभुघाट पर पड़ी। गंदगी का अंबार था। लगभग खुला शौचालय। और यहीं से शुरू हुआ मिशन प्रभुघाट। सोशल मीडिया और वाॅलेंटियर से दस हजार रुपए जुटाए। चार दिन में घाट पूरा साफ हो गया।


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