सिर्फ सोचने भर से बढ़ेगी और रुकेगी न्यूरो वायरलेस व्हीलचेयर

Posted on 07-May-2015 12:29 PM




विकलांग लोगों के बीच में रहना। उसकी मजबूरियों को करीब से महसूस करना और फिर लगातार उनके लिए काम करना। अंत में न्यूरोन कंट्रोल वायरलेस व्हीलचेयर को तैयार करना, जो बटन आॅन करने या फिर पैडल मारने से नहीं चलती है, बल्कि आगे बढ़ती है सिर्फसोचने भर से। संभव होता है, इससे विशेष डिवाइस कनेक्ट करने से। चैकिए नहीं, यह बात एक दम सही है, क्योंकि इसे तैयार किया है ग्वालियर के विक्रांत काॅलेज की इंजीनियरिंग इसी ब्रांच से जुड़े 5 युवाओं ने। इन्होंने बताया कि वे इसे पेटेंट कराने की प्रक्रिया को पूरी करेंगे, जिससे इस स्पेशल व्हीलचेयर का फायदा शारीरिक रूप से कमजोर लोग उठा सकें।
इंजीनियर हैं, लेकिन मेडिकल को समझा
    गौर किया जाए तो ये पांचों युवा इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे हैं, लेकिन इन्होंने प्रोजक्ट को पूरा करने के लिए मेडिकल को भी करीब से समझा। ग्रुप में शामिल पूजा जैन बताती हैं कि यह प्रोजेक्ट ईईजी टेक्नोलाॅजी पर काम करता है। एक ऐसा हेड केयर तैयार किया, जो दिमाग में उठने वाली अल्फा बीटा, गामा, बीटा और डेल्टा वेब्स को रीड कर सके। देखा जाए तो एक सेकेंड में दिमाग से 16 हजार वेब्स निकलती है, जो पांच ही होती हैं। टीम मेंबर गगन सिंह वाधवानी ने बताया कि पांचों वेब्स को रीड करने के लिए हेड केयर में एक चिप लगाई, लेकिन इसमें ऐसा प्रोग्राम सेट किया गया है, जो वेब्स की रीड कर सके और समझ सके कि इंसान क्या सोच रहा है।
ऐसे करता है काम
     पहले एक हेड केयर तैयार किया। ब्रेन से निकलने वालीं पांचों वेव्स को रीड करने के लिए इंटर फेसिंग डिवाइस लगाई, जिसमें रिलेक्शेसन और कंस्ट्रशेसन प्रोग्रामिंग की गई। ब्रेन से निकली सोच को डिवाइस व्हीलचेयर में सेट की गई डिवाइस तक पहुंचाने के लिए रिसीवर के रूप में डिजिटल कन्वर्टर लगाया गया। कनेक्टविटी के लिए डिवाइस और हेड केयर में ब्लू टूथ लगाया गया। दिमाग से निकली वेव्स ब्लू टूथ के जरिए डिवाइस में लगे माइक्रो कंट्रोलर के पास पहुंचती है, जो एक तरह से मैसेज का जजमेंट कर फिल्टर करने का काम करता है, साथ ही इंसान की सोच को व्हीलचेयर में लगे पंप तक पहुंचाता है 


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