शरीर भले ही टूटा लेकिन हिम्मत नहीं हारी

Posted on 16-Sep-2015 04:23 PM




यह कहानी है मुश्किलों को मात देकर चैंपियन बनने की। कमजोरियों पर जीत हासिल करने की। कठिनाइयां सभी के जीवन में आती हैं। कुछ लोग घुटने टेक देते हैं तो कुछ लोगों से मुश्किलें ही हार मान लेती हैं। ये चारों खिलाड़ी भी उन्हीं लोगों में से हैं जिन्होंने अपनी शारीरिक कमजोरियों को खुद की हिम्मत पर हावी नहीं होने दिया। कभी लोगों के ताने सुनने को मजबूर ये खिलाड़ी अब उन्ही लोगों के लिए मिसाल बन रहे हैं।

14 साल की अवनी चल नहीं सकती। खड़ी भी नहीं हो सकती। दरअसल, रीढ़ की हड्डी में आई चोट से उसका नर्व सिस्टम लगभग बेजान हो चुका है। पैर निढाल हो चुके हैं। ऐसे हालात में कोई भी हिम्मत खो सकता है, पर अवनी को यह मंजूर नहीं था। हादसे के तीन साल बाद ही अब उसकी पहचान शूटिंग में स्टेट चैंपियन की है। दिलचस्प यह है कि इसी साल अप्रैल में ही उसने पहली बार राइफल उठाई थी। तीन-चार महीनों के अभ्यास में ही उसने अगस्त में हुई शूटिंग राज्य चैंपियनशिप में 10 मीटर एयर राइफल स्पर्धा में गोल्ड जीता।

जयपुर के जगतपुरा में रहने वाली अवनी 20 फरवरी, 2012 को जयपुर से धौलपुर जाते वक्त सड़क दुर्घटना का शिकार हुई थी। तीन महीने अस्पताल में ही बीते थे। एक बार तो परिवार को लगा जैसे सब कुछ खत्म सा हो गया। अवनी व्हील चेयर पर आ गई थी। लेकिन उसने साबित कर दिया कि हादसे में उसका शरीर भले ही टूटा है लेकिन हिम्मत नहीं।


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