शिव - आराधना

Posted on 11-May-2015 11:47 AM




ऊँ नमः पार्याय चावार्याय च नमः,
 प्रतरणाय चोत्तरणाय च।
नमस्तीर्थ्याय च कूल्याय च नमः,
 शष्प्याय च फेन्याय च।। 

भगवान भोलेनाथ की पूजा के दौरान इस मंत्र के द्वारा 
त्रिलोचनाय भगवान शिव को पुष्प समर्पण करना चाहिए -

उत्तम मध्यम नीच गति पाहन सिकता पानि।
प्रीति परिच्छा तिहुन की बैर बीतिक्रम जानि।।

तुलसीदास ने प्रीति की परीक्षा, में उत्तम, मध्यम और नीच- इन तीनों स्थितियों की तुलना क्रमशः पत्थर, बालू और जल की लकीरों से की है- अर्थात् उत्तम पुरुष की प्रीति पत्थर की लकीर के समान है, जो अनेक दुःख सहने के बाद भी अमिट रहती है। मध्यम पुरुष की प्रीति बालू की लकीर की तरह है, जो हवा न लगने तक ही रहती है। लेकिन नीच पुरुष की प्रीति जल की लकीर की तरह होती है जिसका कोई अस्तित्व नहीं होता। लेकिन वैर इसके विपरीत होता है। अर्थात् उत्तम, मध्यम और नीच - इन तीनों पुरुषों में वैर की प्रकृति क्रमशः जल, बालू और पत्थर की तरह होती है।


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