रहिमदास जी के दोहे

Posted on 29-Jul-2016 12:37 PM




रहिमन देख बड़ेन को लघु दीजिये डार।

जहाँ काम आवे सुई कहा करै तलवार।।

 

रहीम कहते हैं कि अगर कोई बड़ी वस्तु मिल जाए तो छोटी को नहीं छोड़ना चाहिए क्यूंकि जो काम एक छोटी सुई कर सकती है उसे बड़ी तलवार नहीं कर सकती अर्थात जो आपके पास है, उसकी कद्र करें, उससे अच्छा मिलने पर जो है उसे ना भूलें।

 

रूठे सुजन मनाइये जो रूठे सौ बार।

रहिमन फिर फिर पोइये टूटे मुक्ताहार।।

 

रहीम कहते हैं अगर आपका कोई खास सखा अथवा रिश्तेदार आपसे नाराज हो गया हैं तो उसे मनाना चाहिए अगर वो सो बार रूठे तो सो बार मनाना चाहिए क्योंकि अगर कोई मोती की माला टूट जाती है तो सभी मोतियों को एकत्र कर उसे वापस धागे में पिरोया जाता है।

 

रहिमन थोरे दिनन को, कौन करे मुहँ स्याह

नहीं छलन को परतिया, नहीं कारन को ब्याह

 

रहीम कहते हैं थोड़े दिन के लिए कौन अपना मुंह काला करता हैं क्योंकि पर नारी को ना धोखा दिया जा सकता है और ना ही विवाह किया जा सकता है।


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