शिव आराधना

Posted on 27-Apr-2015 05:49 PM




ऊँ नमः आराधे चात्रिराय च नमः शीघ्रयाय च शीभ्याय च ।
नमः ऊम्र्याय चावस्वन्याय च नमो नादेयाय च द्वीप्याय च ।।

इस मंत्र के द्वारा भगवान भोलेनाथ को 
दीप दर्शन कराना चाहिए 

मित्रवर अर्जुन से भगवान् श्रीकृष्ण कहते हंै

स एवायं मया तेऽद्य योगः प्रोक्तः पुरातनः।    
 भक्तोऽसि मे सखा चेति रहस्यं ह्योतदुत्तमम्।। 
 हे पार्थ! यह वही प्राचीनतम योग मैंने तुमसे कहा है, क्योंकि तुम मेरे भक्त और सखा हो। यही योगशास्त्रका उत्तम रहस्य है। कैसा ही गोपनीय रहस्य हो, अभिन्नहृदय सखाको तो बताना ही पड़ेगा। भला, उससे कोई बात छिपी रह सकेगी? 
सर्वकर्माण्यपि सदा कुर्वाणो मद्व्यपाश्रयः।     
मत्प्रसादादवाप्रोति शाश्वतं पदमव्ययम्।। 
‘समस्त कर्म मेरे आश्रयसे सदा करते हुए मेरी कृपासे मनुष्य शाश्वत अव्यय पद प्राप्त कर लेता है।’ सदा, सब समय, सब कर्म करो। 


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