21-Jul-2016
अद्यात्म

योग मुद्रा (अद्यात्म)

दो या दो से अधिक उँगलियों के मेल से जो यौगिक क्रियाएँ संपन्न की जाती हैं, उन्हें योग मुद्रा कहा जाता है, जो इस प्रकार हैं- 1. वायु मुद्रा- यह मुद्रा तर्जनी को अँगूठे की जड़ में स्पर्श कराने से बनती है। 2. शून्य मुद्रा-


21-Jul-2016
अद्यात्म

अध्यात्म दर्शन (अद्यात्म)

महाप्रभु श्री हरिराय जी द्वारा - श्रीकृष्ण सर्वदा स्मर्यः सर्व लीला समान्वितः श्रीकृष्ण का स्मरण होने से चित उनकी सेवा में महज ही प्रवृत हो जाता है।


15-Jul-2016
अद्यात्म

तत्व ज्ञान (अद्यात्म)

कोई भी दुःखद घटना होने पर स्वयं से पूँछे, ’इसके पीछे क्या कारण है ?’ इस तरह आपको स्वयं से सही सवाल पूछने की आदत विकसित करनी होगी। इस कदम में सुस्ती से मुक्ति पाने हेतू स्वयं से सवाल पूछना बहुत महत्त्वपूर्ण कदम है। ’मैं कौन हूँ’? सवाल इतना गूढ़ है कि इसके लगातार पूछने पर आप


14-Jul-2016
अद्यात्म

गायत्री मंत्र के चौबीस अक्षर (अद्यात्म)

गायत्री के चौबीस अक्षर हैं । गायत्री महामंत्र में अक्षरों की गणना इस प्रकार की जाती है- तदादिवर्णगानर्धान् वर्णानगण्यस्तु तान् । “


14-Jul-2016
अद्यात्म

सफलता का आध्यात्मिक नियम (अद्यात्म)

सफलता का आध्यात्मिक नियम धर्म का नियम है। संस्कृत में धर्म का शाब्दिक अर्थ जीवन का उद्देश्य बताया गया है। धर्म या जीवन के उद्देश्य का जीवन  में आसानी से पालन करने के लिए व्यक्ति को इन विचारों पर ध्यान देना होगा,‘‘मैं अपनी असाधारण योग्यताओं की सूची तैयार करूंगा और फिर इस असाधारण य


14-Jul-2016
अद्यात्म

कामनाएं भगवान को समर्पित करें (अद्यात्म)

संत ज्ञानेश्वर एक बाग के पास से गुजर रहे थे, माली को पौधों को पानी देते देखकर वे अपने शिष्यों से बोले -’’क्या तुम लोग इस पानी की विशेषता जानते हो ?’’ शिष्यों ने अपनी अनभिज्ञता जाहिर कीं संत ज्ञानेश्वर बोले -’’ये पानी अपनी इच्छा के बगैर काम करता है। माली इसको पौ


11-Jul-2016
अद्यात्म

स्वाध्याय-सतसंग (अद्यात्म)

आध्यात्मिक आदर्श एवं महापुरुषों का संग-साथ आध्यात्म का महत्वपूर्ण सोपान है। आंतरिक संघर्ष के पलों में इनसे आवश्यक प्रेरणा एवं मार्गदर्शन पाता है। खाली समय में उच्च आदर्श एवं सद्विचारों में निमग्न रहता है। आध्यात्मिक ग्रंथों एवं सत्साहित्य का अध्ययन जीवन का अभिन्न अंग होता है। इस प्रकार सद्विचारों


11-Jul-2016
अद्यात्म

आत्म श्रद्धा, ईश्वर, विश्वास (अद्यात्म)

अपनी आत्मसत्ता पर श्रद्धा जहाँ एक छोर होता है, वहीं ईश्वरीय आस्था इसका दूसरा छोर। आध्यात्मवादी अपनी आध्यात्मिक नियति पर दृढ़ विश्वास रखता है और अपने पुरुषार्थ के बल पर अपने सत्कर्मों के आधार पर अपने मनवाँछित भाग्य निर्माण का प्रयास करता है। साथ ही वह ईश्वरीय न्याय व्यवस्था को मानता है। दूसरे जो भी


11-Jul-2016
अद्यात्म

आत्म चिंतन ध्यान परायण जीवन (अद्यात्म)

निःसंदेह अपने आत्म रुप का चिंतन, जीवन लक्ष्य पर विचार, आदर्श का सुमरण-वरण इसके अनिवार्य सोपान हैं। इसके लिए अभीप्सु ध्यान के लिए कुछ समय अवश्य निकालता है। अपने अचेतन मन को सचेतन करने की प्रक्रिया को अपने ढंग से अंजाम देता है। आत्म तत्व का चिंतन उसे परम तत्व की ओर प्रवृत करता है और ईश्वरीय आस्था ज


04-Jul-2016
अद्यात्म

श्री देवनारायण (अद्यात्म)

श्री देवनारायण भगवान विष्णु के अवतार माने जाते है। इनकी पूजा मुख्यतः राजस्थान, हरियाणा तथा मध्यप्रदेश में होती है। भगवान श्रीदेवनारायण का अवतार सम्वत 968 में साडू माता गुर्जरी तथा गुर्जर श्री सवाईभोज बगड़ावत के घर में हुआ था। श्रीदेवनारायण भगवान के पूर्वज 24 भाई थे। 24 बगड़ावत चैहान गोत्र के गुर्जर