सुधार के लिए दूसरों के भरोसे बैठने के बजाय स्वयं से शुरूआत की जानी चाहिए। उस दिन कोई ज्यादा भीड़ नहीं थी। बस, हम 8-10 जने ही वही रोज-रोज की बातें, जान-पहचान करते चले अपने-अपने मुकाम पर पहुंचने के लिए। तभी गाड़ी की चाल कम हुई। शायद, स्पष्ट संकेत नहीं मिलने से चालक को स्टेशन से पहले गाड़ी रो
पुत्र के संबंधों में जो कडुवाहट आ गई है वह मनुष्य के संकुचित दृष्टिकोण और स्वार्थपूर्ण प्रवृत्ति के परिणाम स्वरूप ही है। पिता, पुत्र के लिये अपना सर्वस्व अर्पित कर दे और पुत्र व्यक्तिगत स्वतंत्रता हेतु अनुशासन की अवज्ञा करे तो उस बेटे को निन्दनीय ही समझा जाना चाहिये। मनुष्य का सबसे शुभचिन्तक मित्
पूजा स्थल की स्थापना उत्तर पूर्व दिशा में ही करनी चाहिए। साथ ही पूजा करते समय हमारा मुख ईशान कोण में हो इसका भी ध्यान रखना चाहिए। मंदिर तक पहुंचे रौशनी और हवा- घर का मंदिर ऐसी जगह पर बनाएं जहां सूर्य की रौशनी और ताजी हवा जरुर आती हो। इससे घर की नेगेटिव एनर्जी खत्म होती है उत्तर पूर्व दिशा
ऊँ शब्द के संधि विच्छेद से अ$उ$म वर्ण प्राप्त होते हैं। इनमें ‘अ’ सृष्टि का द्योतक है, ‘उ’ स्थित का और ’म’ से लय का बोध होता हैं। ऊँ से ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों का बोध होता है और इसके उच्चारण मात्र से इन तीनों देवताओं का आह्वान होता हैं।
बहुत बार हमें लगता हैं कि आज का दिन कितना मुश्किल या चुनौतीपूर्ण हैं। ज्यादा काम या तनाव के कारण ऐसा हो सकता हैं, लेकिन कुछ बातों को ध्यान में रखने से मुश्किल दिन को आसान या सामान्य बनाया जा सकता हैं, जानिए ऐसे कुछ साइन्स के बारे में......... 1. सबसे पहले जानिए कि आपका परफेक्ट दिन किस तरह
सम्मोहन या कहें कि आत्मसम्मोहन व आत्मचिंतन की मदद से शरीर तथा दिमाग दोनांे सही परिणाम देने लगते हैं। हालांकि नकारात्मक विचार तनावपूर्ण परिस्थितियों की देन होते हैं, लेकिन आप अपने अंदर संतुलन पैदा कर आत्म सुझावों द्वारा उनका सामना कर सकते हैं। इसके लिए कुछ लोग मंत्रों को मन ही मन पढ़ते या फि
ब्रजभूमि महोत्सव अनूठा व आश्चर्यजनक होता है। सबसे पवित्रतम स्थान तो मथुरा को ही माना जाता है, और मथुरा में भी एक सुन्दर मन्दिर को जिसमें ऐसा विश्वास है कि यही वह स्थान है, जहाँ पर श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था। ऐसा अनुमान है कि सात लाख लोगों से भी अधिक श्रद्धालु मथुरा व आस-पास के इलाक़ों से इस स्थान प
कौन सी आदतें अच्छी हैं और कौन से काम करने से नुकसान ही होता है, इसके बारे में श्रीरामचरितमानस के एक दोहे से समझा जा सकता है- &nb
यह एक देश भक्ति से भरा हुआ हृदय था, जिसमें आज़ादी के लिए प्यार और हमारी प्यारी मातृभूमि के लिए अमर समर्पण था, जो 200 साल तक अँग्रेज़ों के राज के अधीन रहने पर भी बना रहा और हमें अँग्रेज़ों से आज़ादी मिली। 15 अगस्त 1947, वह दिन था जब भारत को ब्रिटिश राज से आज़ादी मिली और इस प्र
एक बार संत अप्पार के पास एक जिज्ञासु आया और बोला -’’महात्मन्, मैंने अनेक विषयों का गंभीर अध्ययन किया है। मुझे तमाम शास्त्र व ग्रंथ मुंहजबानी याद हैं। लोग जब मुझे विद्वान कहते हैं तो मुझे बहुत अच्छा लगता है और मेरे अहं को तुष्टि भी मिलती है, किंतु इन सबसे शांति व आनंद नहीं मिलता। एकांत