मांगलिक कार्यक्रमों की शुरुआत से जुड़ी रस्म

Posted on 09-May-2015 12:21 PM




विवाह संस्कार घर की बेटी (बहन, बुआ और भतीजी) के बिना संपन्न नहीं हो सकता है। इसलिए उनकी उपस्थिति आवश्यक बताई गई है। बहन बेटी ही सुवासिनी कहलाती है। बहन या बुआ को लेने भाई भतीजे जाते हैं। भाई अपनी बहिन को साड़ी ओढ़ाकर लाता है और तभी मांगलिक कार्यक्रमोें की शुरुआत होती है।
    बेटी के आने पर मिट्टी का कलश लेकर वर/वधु की मां/भाभी उन्हें लाती हैं और उन्हें घर के अंदर लाकर पाटे पर बैठाकर कर सेवक स्त्री सुवासिनी के दूध हल्दी के पांव धोती है फिर सुवासिनी के तिलक किया जाता है और मुंह मिठा किया जाता है। महिलाएं गीत गाती है। बहन अपने साथ भाई भतीजों के कपड़े व मिठाई लेकर आती है उसी का लावणा मित्रों व रिश्तेदारों मंे बांटा जाता है। जिससे यह पता चलता है कि घर में सुवासिनी आ चुकी है।


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