मन एवं विचार

Posted on 22-May-2015 03:11 PM




परम शक्ति परमात्मा, 
सदा हमारे साथ।
वही सुखी सम्पन्न है, 
बिरला जाने बात।।
एक किवदन्ती कहती है -’विनाश काले विपरीत बुद्धि’। जब आदमी का विनाश का समय आता है तो उसकी बुद्धि उल्टी हो जाती है। वो अविवेकपूर्ण निर्णय लेने लगता है। पहले मन अस्वस्थ्य होता है फिर तन।
इस तन का रोगी होना मन की अभिव्यक्ति है। इसी के कारण देह के भीतर कोशिकाएँ प्रभावित होती है। इनके मन-माने ढंग से बढ़ने पर ही भयानक रोगों का सामना करना पड़ता है।जैसे उत्तम विचारों से मन स्वस्थ होता है, उसी तरह पौष्टिक आहार से तन स्वस्थ होता है। अतः स्वास्थ्य की इच्छा रखने वाले व्यक्ति को अपनी बुद्धि, मन तथा विवेक पर नियन्त्रण रखना चाहिये।
धैर्य, समय और प्रकृति, 
चारागर सम होय।
दुःख संकट और रोग सब, 
निकट न आवे कोय।।


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