इन्सान में इन्सानियत प्रकट करने का कार्य

Posted on 05-Jun-2015 11:07 AM




जीवन में कभी-कभी हम अपने लोगों से मिलते है, बैठते है और किसी विषय बिन्दु पर वार्तालाप चल पड़ता है कोई बात कहने में काफी समय लग जाता है, लेकिन अगर आपके पास कोई ऐसा दोहा या कविता की पंक्तियां हो तो आप अपने मन में भावों कोे दोहे की दो पंक्तियों में कह कर अपना मन्तव्य उजागर कर सकते है और आपके सामने आपकी बात को सुनने वाला बिना किसी उलझन के भी समझ सकता है मीरा, सूर, कबीर, तुलसी आदि महान कवियों ने अपने देश के संस्कार और संस्कृति को दोहे, छन्द, सोरठे और चैपाईयों के माध्यम से इतना सुन्दर लिखा है कि आज सदियां हो गई लेकिन लोग उन्हें परमात्मा की वाणी समझ कर श्रवण करते है। उनका आदर करते है, पूजा करते है।
सतसैया के दोहरे, ज्यों नाविक के तीर ।
देखन में छोटे लगे, घाव करे गम्भीर ।।
ये सेवा दोहावली सेवा मार्ग का पथ प्रदर्शित करती है। जो सेवा के पथ पर चले है उनकी याद दिलाती है। उनके द्वारा किये गये सेवा कर्मो का दिग्दर्शन करवाती है। नारायण सेवा संस्थान एक सेवा का मंदिर है। उसमें होने वाले सेवा कार्यों से एकाकार करवाने वाले दोहे हमारे हृदय में सेवा का पावन प्रकाश प्रज्वलित करते है।                   
                      - पद्मश्री कैलाश ’मानव’


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