Posted on 03-Jul-2016 12:22 PM
 
    आओ आज हम सेवा के माध्यम से ज्ञान को हासिल करें। जिसके प्राप्त हो जाने पर, इस धरती पर सत्कार्यों के माध्यम से स्वर्गिक सुख की प्राप्ति होती है। राम हमारे हृदय में, मर्यादा आचरण में, हमारा देह ही देवालय हो। अपने पुरुषार्थ से ही हम पुरुषोत्तम होने का प्रयास करें तो हमें पता चलेगा कि अयोध्या हमारी है और हम नर रूपी नारायण की सेवा करते है।