कहीं आप भी बंदर न बन जाए

Posted on 29-Jun-2016 12:37 PM




एक बार कुछ वैज्ञानिकों ने एक बड़ा ही रोचक प्रयोग किया। उन्होंने 5 बंदरों को एक बड़े से पिंजरे में बंद कर दिया और बीचों-बीच एक सीढ़ी लगा दी जिसके ऊपर केले लटक रहे थे। जैसी कि उम्मीद थी, जैसे ही एक बन्दर की नज़र केलों पर पड़ी वो उन्हें खाने के लिए दौड़ पड़ा। पर जैसे ही उसने कुछ सीढ़ियां चढ़ीं, उस पर ठण्डे पानी की तेज धार डाल दी गयी। इससे वह घबरा गया और उसे उतर कर भागना पड़ा। पर प्रयोग यहीं नहीं रूके। उन्होंने एक बन्दर के किये गए की सजा बाकी बंदरों को भी दे डाली और सभी को ठण्डे पानी से भिगो दिया। बेचारे बंदर हक्के-बक्के एक कोने में दुबक कर बैठ गए। पर वे कब तक बैठे रहते? कुछ समय बाद एक दूसरे बंदर को केले खाने का मन किया। वह भी उछलता -कूदता सीढ़ी की तरफ दौड़ा। अभी उसने चढ़ना शुरू ही किया था कि पानी की तेज धार से उसे नीचे गिरा दिया गया। और पहले की तरह इस बार भी इस बंदर के गुस्ताखी की सजा बाकी बंदरों को भी दी गयी। उन्हें एक बार फिर पानी की ठंडी धार का सामना करना पड़ा। एक बार फिर बेचारे बन्दर सहमे हुए एक जगह बैठ गए। थोड़ी देर बाद जब तीसरा बंदर केलों के लिए लपका तो एक अजीब वाकया हुआ। बाकी क बंदर उस पर टूट पड़े और उसे केले खाने से रोक दिया, ताकि एक बार फिर उन्हें ठण्डे पानी की सजा ना भुगतनी पड़े। अब वैज्ञानिकों ने एक और चीज की। उन्होंने अंदर बंद बंदरों में से एक को बाहर निकाल दिया और एक नया बंदर अंदर डाल दिया। नया बंदर वहां के नियम क्या जाने, केले देखते ही उसके मुंह में पानी भर आया और वह तुरंत केलों की तरफ दौड़ पड़ा। पर यह देखकर बाकी बंदर अपने आप को रोक न सके। उन्होंने मिलकर उस नये बंदर की पिटाई कर दी। नये बंदर को यह समझ में नहीं आया कि आखिर क्यों ये बंदर खुद भी केले नहीं खा रहे और उसे भी नहीं खाने दे रहे। लेकिन एक बार पिटने के बाद उस को भी यह समझ में आ गया कि केले सिर्फ देखने के लिए हैं खाने के लिए नहीं। इसके बाद वैज्ञानिकों ने एक और पुराने बंदर को निकाला और नया बंदर अंदर कर दिया। इस बार फिर वही हुआ। नया बंदर केलों की तरफ लपका पर बाकी के बंदरों ने उसकी धुनाई कर दी और मज़ेदार बात ये है कि पिछली बार आया नया बंदर भी धुनाई करने वालों में शामिल था, जबकि उसके ऊपर एक बार भी ठंडा पानी नहीं डाला गया था। प्रयोग के अंत में सभी पुराने बंदर बाहर जा चुके थे और नए बंदर अंदर थे जिनके ऊपर एक बार भी ठंडा पानी नहीं डाला गया था। पर उनका व्यवहार भी पुराने बंदरों की तरह ही था। वे भी किसी नए बंदर को केलों को नहीं छूने देते थे। दोस्तो, आप सोच कर देखिए, क्या हमारे समाज में भी यही बंदरों वाला व्यवहार देखने को नहीं मिलता है ? जब भी कोई नया काम शुरू करने की कोशिश करता है, चाहे वो पढ़ाई, खेल, एंटरटेनमेंट, राजनीति, समाज सेवा या किसी और फिल्ड से संबंध हो, उसके आसपास के लोग उसे ऐसा करने से रोकते हैं, उसे असफलता का डर दिखाया जाता है। और मजेदार बात ये है कि उसे रोकने वाले ज्यादातर लोग वो होते हैं जिन्होंने खुद उस क्षेत्र में कभी हाथ भी नहीं आजमाया होता.....

इसलिए यदि आप भी कुछ नया करने की सोच रहे हैं और आपको भी समाज या आसपास के लोगों के विरोध का सामना करना पड़ रहा है तो थोड़ा संभल कर रहिये। अपने तर्को और क्षमताओं की ओर देखिए, खुद पर और अपने लक्ष्य पर विश्वास कायम रखिये, और बढ़ते रहिये। कुछ बंदरों की जिद के आगे आप भी बंदर मत बन जाइए।


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