20-Jul-2016
सम्पादकीय

सद्व्यवहार की पालना ही ईश्वर भक्ति - रैदास (सम्पादकीय )

रैदास ने ऊँच-नीच की भावना तथा ईश्वर-भक्ति के नाम पर किये जाने वाले विवाद को सारहीन तथा निरर्थक बताया और सबको परस्पर मिल जुल कर प्रेमपूर्वक रहने का उपदेश दिया। वे स्वयं मधुर तथा भक्तिपूर्ण भजनों की रचना करते थे और उन्हें भाव-विभोर होकर सुनाते थे। उनका विश्वास था कि राम, कृष्ण, करीम, राघव आदि सब एक


11-Jul-2016
सम्पादकीय

आईये मनोबल बढाएँ (सम्पादकीय )

1. स्वंय पर विश्वास रखें, लक्ष्य बनायें एंव उन्हें पूरा करने के लिए वचनबद्ध रहें। जब आप अपने द्वारा बनाये गए लक्ष्य को पूरा करते हैं तो यह आपके आत्मविश्वास को कई गुना बढ़ा देता है। टालना बंद कीजिए, अभी शुरुआत किजिए। 2. ऐसे लक्ष्य बनाएँ, जिसे आप प्राप्त कर सकें । क्योंकि जब आप ऐसे लक्ष्य


29-Jun-2016
सम्पादकीय

न्याय (सम्पादकीय )

न्याय को कोई मित्र एवं स्वजन नहीं होता और मित्रों के पक्ष में न्याय कभी विचलित भी नहीं होता। मित्रों को झुकता तौलना या किसी भी प्रकार की रियायत देना न्याय के स्वभाव में नहीं है। न्याय शुरू से ही रूखे स्वभाव का रहा है। न्याय जब कसौटी पर चढ़ता है तब उसकी मुस्कान समाप्त हो जाती है। गम्भीर चेहरा ही न्


27-Jun-2016
सम्पादकीय

यकीन (सम्पादकीय )

सरदार वल्लभभाई पटेल ने अपनी माँ से देश सेवा की आज्ञा माँगी। माँ ने कहा,’’ बहुत मुश्किल काम है बेटा-देश सेवा। गद्दी पर बैठना और हुकूमत चलाना आसान नहीं, उसमें झाडू-बुहारी से लेकर दुष्टों के संहार तक के दुष्कर कार्य करने पड़ते है। जिस दिन मुझे यह यकीन हो जायेगा कि तू भी कठिन से कठिन काम क


18-Jun-2016
सम्पादकीय

तुलसी है विष्णु प्रिया (सम्पादकीय )

भगवान विष्णु की पूजा को तुलसी पत्र के बिना अधूरा माना जाता है. बिना तुलसी के श्री हरि को भोग नहीं लगता. क्या आपने कभी सोचा है कि लक्ष्मीपति के लिए इस पौधे का इतना महत्व क्यों है? प्राचीन काल में जलंधर नाम का राक्षस था. उसने सम्पूर्ण धरती पर उत्पात मचा रखा था. राक्षस की वीरता का राज था उसकी पत्नी


15-Jun-2016
सम्पादकीय

वेदमाता गायत्री का प्राकट्य दिवस गायत्री जयंती (सम्पादकीय )

मां गायत्री को वेदमाता कहा जाता है अर्थात सभी वेदों की उत्पत्ति इन्हीं से हुई है। गायत्री को भारतीय संस्कृति की जननी भी कहा जाता है। धर्म शास्त्रों के अनुसार ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी को मां गायत्री का अवतरण माना जाता है। इस दिन को हम गायत्री जयंती के रूप में मनाते है। इस बार गायत्री जयंत


14-Jun-2016
सम्पादकीय

रक्तदान है महादान (सम्पादकीय )

रक्तदान है महादान रक्तदान जीवनदान है। हमारे द्वारा किया गया रक्तदान कई जिंदगियों को बचाता है। इस बात का अहसास हमें तब होता है जब हमारा कोई अपना खून के लिए जिंदगी और मौत के बीच जूझता है। उस वक्त हम नींद से जागते हैं और उसे बचाने के लिए ख


10-Jun-2016
सम्पादकीय

विचारों में है शक्ति (सम्पादकीय )

एक बार एक राजा के मंत्री ने चाहा कि राजा को सिद्ध करके दिखाए कि विचार कितने शक्तिशाली होते हैं, अतः उसने राजा से कहा कि जब अमुक व्यक्ति उनकी ओर आये तो वे (राजा) उस आदमी के बारे में बुरा सोचते रहें। राजा ने बीरबल की बात मानी और मन ही मन अपनी ओर आते व्यक्ति के बारे में बुरा सोचते रहे। जब वह व्यक्ति


07-Jun-2016
सम्पादकीय

महाराणा प्रताप जयंती (सम्पादकीय )

महाराणा प्रताप की जयंती विक्रमी संवत् कैलेंडर के अनुसार प्रतिवर्ष ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष तृतीया को मनाई जाती है। राजस्थान के कुंभलगढ़ में महाराणा प्रताप का जन्म महाराजा उदयसिंह एवं माता राणी जयवंता के घर ई.स. 1540 में हुआ था। महाराणा प्रताप को बचपन में कीका के नाम से पुकारा जाता था। महाराणा प्र


01-Jun-2016
सम्पादकीय

जीवन नाम है सुख दुःख का (सम्पादकीय )

किस्मत और हालात बदलते देर नहीं लगती। मुश्किल तब आती है, जब समय अच्छा न चल रहा हो। बुरे हालात हमें कमजोर और निराशावादी बना देते हैं। अगर मुश्किल हालात में आप कुछ बातों की गांठ बांध लें, उन्हें अपने जिंदगी में उतार लें तो आपकी जिंदगी पूरी तरह बदल सकती है। मानसिक रूप से ये निर्णय लें