सम्पादकीय 07 सितम्बर

Posted on 07-Sep-2015 03:50 PM




जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए शारीरिक स्वास्थ्य का ध्यान रखना हमारा सर्वप्रथम कत्र्तव्य है। शरीर को निरोग रखिए। इसकी शक्ति तथा सहन सामथ्र्य बढ़ाइए। जहाँ तक हो सके, इसे सुन्दर से सुन्दर बनाने का प्रयत्न कीजिए। अपने कमरे में अपोलो की अथवा वीनस की एक छोटी सी मूर्ति प्रेरणा हेतु रखिए। प्रत्येक व्यक्ति में पैतृक दुर्बलताएँ तथा कालिदास ने कहा ‘शरीर ही कत्र्तव्य पालन का सबसे प्रधान साधन है’ (शरीरमाद्य खलु धर्मसा धनम्)। यदि हम सुन्दरा का वरदान पाकर उत्पन्न नहीं हुए, तो भी हम अपने शरीर को स्वस्थ बनाकर रोगों से दूर रखकर, उदात्तमन तथा शान्त मस्तिष्क द्वारा आकर्षक बना सकते हैं। सौन्दर्य केवल त्वचा तक ही सीमित नहीं होता, इसकी गहराई आत्मा तक होती है।

उत्तम स्वास्थ्य के बिना जीवन एक बोझ के समान है। जीवन में कष्ट साध्य तथा परिश्रम जन्य कार्याें के लिए हमको शारीरिक शक्ति तथा सहन सामथ्र्य की आवश्यकता होती है। हमें ऐसी अनुभूति होनी चाहिए जिसे फ्रेंच लोग ‘जीवन का हर्ष’ कहते है। यह अनुभूति हमारे शरीर की प्रत्येक नस-नाड़ी और प्रत्येक अणु को होनी चाहिए। तब निराशा और चिन्ता का अन्धकार हमारे मन को आक्रांत नहीं करेगा। एक स्वस्थ व्यक्ति के लिए आशावाद उतना ही आवश्यक हैं जितनी श्वासोच्छवास क्रिया तथा निद्रा। हमें सुखद निद्रा आनी चाहिए। अनिद्रा से निराशा का जन्म होता है जो सफलता प्राप्ति में बाधक है। 

यदि हम अपने शरीर को स्वस्थ अवस्था में नहीं रखते, तो बीमारी में हमारा समय नष्ट होगा। समय कभी-कभी धन है, किन्तु समय प्रत्येक काल में जीवन है। जीवन के लघुत्तम समय को भी रूग्णावस्था में नहीं व्यतीत होने देना चाहिए।
हमें माँसपेशियों को असाधारण रूप से बलशाली बनाने की आवश्यकता नहीं, इस प्रकार का प्रयास तो उन्हें करना है जिन्हें शारीरिक प्रदर्शन की विद्या अपनानी हो, पहलवान या मुक्केबाज बनना हो। हमें सामान्य स्वास्थ्य, शक्ति, कुशलता तथा स्फूर्ति प्राप्त करनी है। हमें यह उचित अधिकार है कि हमें स्वस्थता का आनन्द प्राप्त करने की इच्छा रखें और दीर्घ आयु प्राप्त करने की कामना करें। शरीर रचना तथा शरीर क्रिया विज्ञान का अध्ययन करके अपने शरीर के बारे में पर्याप्त ज्ञान प्राप्त कीजिए। 
हमें कुछ एक ऐसी पुस्तकें भी पढ़नी चाहिये, जो विशेषज्ञों द्वारा लिखित हों। अपने सामान्य सूझ-बूझ के द्वारा हमको उन्हें व्यवहार में उतारने का प्रयास करना चाहिए। स्वास्थ्य केवल एक उच्चतर लक्ष्य प्राप्ति का साधन है। हर समय सेहत बनाने के ध्यान में डूबे रहना ठीक नहीं हमें उनका अनुकरण करने का प्रयत्न मत कीजिए जो हर समय कैलोरीज, विटामिन तथा टोक्सिन की ही रट लगाकर उबा देते हैं। स्वास्थ्य के लिए इस प्रकार की सनक भी एक रोग ही है। अपने शरीर का उचित ध्यान रखिए, किन्तु उचित से अधिक नहीं।


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