प्रेम से बड़ी करूणा

Posted on 09-May-2015 12:51 PM




उन सभी भावनाओं में, जिन्हें आप अपने अन्दर पोस सकते हैं, करुणा की भावना सबसे कम उलझाने वाली और सबसे अधिक मुक्त करने वाली है। आप बिना करुणा के भी जी सकते हैं, लेकिन आपके अन्दर भावनाएं तो हैं ही। तो अपनी भावनाओं को किसी और चीज के बजाय करुणा में बदलना बेहतर होगा, क्योंकि हर दूसरी भावना में उलझ जाने की संभावना होती है। करुणा भावना का ऐसा आयाम है।, जो किसी चीज या किसी इंसान में उलझता नहीं।
    आम तौर पर, किसी को अपना हिस्सा बनाने की इच्छा ही आपके प्रेम को बढ़ावा देती है। जब यह किसी एक के लिए होती है, तो हम इसे प्रेम, लालसा या ‘पैशन’ कहते हें। जब यह अपने साथ सबकेा शामिल कर लेती है, तो करुणा बन जाती है। एक खास पसन्द के साथ ही प्रेम की शुरूआत होती है, इसलिए प्रेम हमेशा किसी इंसान या किसी चीज पर निर्भर करता है, जो आपके प्रति अच्छा हो। सिर्फ तभी आप उससे प्रेम करना जारी रख सकते हैं। तो एक तरह से यह भावना बहुत सीमित है। प्रेम हमेशा किसी खास इंसान के प्रति होता है। जब दो प्रेमी साथ बैठते हैं, तो वे अपनी एक अलग बनावटी दुनिया बुन लेते हैं। वास्तव में यह साजिश है। इसमें मजा आता है, क्योंकि किसी दूसरे को इसके बारे में पता नहीं होता। लोगों के लिए प्रेम का आनन्द भी बस इसी वजह से है; लेकिन जब शादी हो जाती है, तो सारी दुनिया जान जाती है और अचानक सारी अनोखी बातें गायब हो जाती हैं, क्योंकि अब यह साजिश नहीं रह गई। प्रेम को किसी खास व्यक्ति तक सीमित रखने में, बाकी दुनिया को अपने से अलग रखने में, तकलीफें पैदा होना लाजिमी है। अगर अपने अनुभव में से बाकी सारी सृष्टि को निकाल देंगे, तो तकलीफें आएगी ही। 
    करुणा का अर्थ है, सबको अपने में शामिल करना। करुणा के साथ अच्छी बात यह है कि अगर कोई दयनीय हालत में है, तो आप उसके लिए ज्यादा करुणा रख सकते हैं। यह अच्छे और बुरे में फर्क नहीं करती। यह आपको असीम बना देती हैं तो प्रेम की तुलना में करुणा निश्चित रूप से अधिक मुक्त करने वाली भावना है। 


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