हमारी छोटी आंत की संरचना

Posted on 05-Aug-2016 11:07 AM




यह आमाशय से लेकर बड़ी आंत तक खुलने वाली लगभग 7 मीटर लंबी नली होती है जो नाभि क्षेत्र में बड़ी आंत से घिरी हुई होती है। इसका घोडे की नाल के आकार का लगभग 25 सेमीमीटर लंबा पहला भाग अग्नाशय के सिरे को चारों ओर से घेरे होता है उसे ग्रहणी या डयोडिनम कहते हैं। इसके बीच सामान्य पित्त वाहिनी और अग्नयाशयिक वाहिनी आकार खुलती है। इसी प्रकार छोटी आंत में पहुंच कर भोजन अग्नयाशयिक रस तथा जिगर द्वारा उत्पन्न पित्त या वाईल एवं आन्त्रिय भित्तियों से उत्पन्न होने वाले आन्त्रिय रस के साथ मिल जाता है। छोटी आंत की भित्ति उन्ही चार परतों की बनी होती है जिनसे आमाशय की भित्ति का निर्माण होता है परंतु उनमें कुछ रूपांतरण होता है।

1.बाहरी सीरमी परत पेरिटोनियम की बनी होती है।

2. पेशीय परत अनैच्छिक पेशियों की बनी होती है, जिसमें बाहर की ओर लंबाकार तंतु तथा इसके नीचे वृत्ताकार तंतुओं की परत होती है।

3. अवश्लेष्मिक परत अवकाशी ऊतक की बनी होती है। ग्रहणी में कुछ खास प्रकार की छोटे-छोटे गुच्छों के रूप में ग्रंथियाँ पाई जाती है। इन ग्रंथियों को ब्रूनर्स ग्रंथियां कहा जाता है। इनसे एक चिपचिपा क्षारीय तरल पैदा होता है जो आमाशय के खट्टे पदार्थों से ग्रहणी की आंतरिक परत की रक्षा करता है।


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