हृदय की सभी समस्याओ के लिए एक वरदान है- अर्जुन वृक्ष

Posted on 12-Dec-2015 11:30 AM




अर्जुन वृक्ष भारत में होने वाला एक औषधीय वृक्ष है। इसकी छाल पेड़ से उतार लेने पर फिर उग आती है। छाल का ही प्रयोग होता है आयुर्वेद ने तो सदियों पहले इसे हृदय रोग की महान औषधि घोषित कर दिया था। आयुर्वेद के प्राचीन विद्वानों में वाग्भट, चक्रदत्त और भावमिश्र ने इसे हृदय रोग की महौषधि स्वीकार किया है।
गुणः यह शीतल, हृदय को हितकारी, कसैला और क्षत, क्षय, विष, रुधिर विकार, मेद, प्रमेह, व्रण, कफ तथा पित्त को नष्ट करता है। अभी तक अर्जुन से प्राप्त विभिन्न घटकों के प्रायोगिक जीवों पर जो प्रभाव देखे गए हैं, उससे इसके वर्णित गुणों की पुष्टि ही होती है। विभिन्न प्रयोगों द्वारा पाया गया है कि अर्जुन से हृदय की पेशियों को बल मिलता है, स्पन्दन ठीक व सबल होता है तथा उसकी प्रतिमिनट गति भी कम हो जाती है। स्ट्रोक वाॅल्यूम तथा कार्डियक आउटपुट बढ़तती है। हृदय सशक्त व उत्तेजित होता है। इनमें रक्त स्तंभक व प्रतिरक्त स्तंभक दोनों ही गुण हैं।
अधिक रक्तस्राव होने की स्थिति से या कोशिकाओं की रुक्षता के कारण टूटने का खतरा होने परयह स्तंभक की भूमिका निभाता है, लेकिन हृदय की रक्तवाही नलिकाओं (कोरोनरी धमनियों) में थक्का नहीं बनने देता तथा बड़ी धमनी से प्रति मिनट भेजे जाने वाले रक्त के आयतन में वृद्धि करता है। अर्जुन की चाय भी बना कर पी जा सकती हैं। साधारण चाय की जगह अर्जुन की कुटी हुई छाल डालिये। और चाय की तरह बना कर पीजिये। अगर आपको अर्जुन के पेड़ न मिले तो अर्जुन छाल आपको रामदेव जी की  आयुर्वेद की दुकानों से मिल जाएगी अनेकों हृदय रोगियों को इस से राहत मिली है। अर्जुन की छाल बाजार मे पंसारी की दुकान पर भी मिलती हैैं।
अर्जुन की छाल की काढा को पक्षा घात के मरीजों को भी देते हैं, जिससे उनको बहुत लाभ होता हैं।
अल्सर के रोगियों के लिए भी ये बहुत लाभदायक है। अर्जुन की छाल और जंगली प्याज के कंदों का चूर्ण समान मात्रा में तैयार कर प्रतिदिन आधा चम्मच दूध के साथ लेने से हृदय रोगों में लाभ मिलता है। यह धारियों युक्त फलों की वजह से आसानी से पहचाना जा सकता है। इसके फल कच्चेपन में हरे और पकने पर भूरे-लाल रंग के होते हैं।
हृदय रोगियों के लिए पुनर्नवा का पांचांग (समस्त पौधा) का रस और अर्जुन छाल की समान मात्रा बहुत फायदेमंद होती है। ’अर्जुन की छाल का चूर्ण 3 से 6 ग्राम गुड़, शहद या दूध के साथ दिन में 2 या 3 बार लेने से दिल के मरीजों को काफी फायदा होता है। अर्जुन की छाल के चूर्ण को चाय के साथ उबालकर पीने से हृदय और उच्च रक्तचाप की समस्याओं में तेजी से आराम मिलता है। चाय बनाते समय एक चम्मच इस चूर्ण को डाल दें तो इससे उच्च रक्तचाप सामान्य हो जाता है।
अर्जुन की चाय हृदय विकारों से ग्रस्त रोगियों के लिए काफी फायदेमंद होती है। अर्जुन की छाल का चूर्ण (1 ग्राम) एक कप पानी में खौलाकर उसमें दूध व चीनी आवश्यकतानुसार मिलाकर पिएं तो फायदा होता है। यदि हृदयघात जैसा महसूस हो तो अर्जुन का चूर्ण जुबान पर रख लेने से तेजी से फायदा होता है। इससे हृदयाघात के बुरे असर को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
अर्जुन छाल का चूर्ण और देसी जामुन के बीजों के चूर्ण की समान मात्रा लेकर मिला लिया जाए और प्रतिदिन रोज रात सोने से पहले आधा चम्मच चूर्ण गुनगुने पानी में मिलाकर लें। यह नुस्खा डायबिटीज के रोगियों के लिए फायदेमंद होता है। अर्जुन के कच्चे ताजे हरे फलों को चबाया जाए तो यह मुख दुर्गन्धनाशक होता है। यह दिन में कम से कम 2 बार किया जाना चाहिए। अर्जुन छाल पीसकर शहद के साथ मिलाकर लगाने से झाइयां दूर होती है। किसी भी प्रकार कर प्रयोग करने से पूर्व अपने डाॅक्टर से सलाह जरूर लेवें।


Leave a Comment:

Login to write comments.