दूर भगायें अनिद्रा

Posted on 12-May-2015 12:57 PM




नींद व्यक्ति के साथ में, ईश्वर का उपहार।
नींद बिना यह जिन्दगी, रोगी ओर बीमार।।
संसार में प्रत्येक प्राणी चाहै वह जलचर, थलचर या नभचर हो। यदि हमारे जीवन में यह निन्दा कुमारी रूठ जाये तो यह जीवन कष्टमय हो जाता है। हम ही नहीं बड़े-बड़े राजा महाराजा तक इस नींद के लिये तरस जाते है। क्योंकि नींद का ही पर्यायवाची सुख स्वास्थ्य तथा शान्ति है। अपने ही आर्यावृत में लगभग 20 करोड़ व्यक्ति अनिन्द्रा के रोग से ग्रस्त है।
निंद्रा आने पर हमारी देह के सम्पूर्ण अंग विश्राम में चले जाते है दूसरा जन्म पाता है। अच्छी नींद आने के बाद हमारी देह फूल की तरह हल्की, हमारे विचार में शान्ति, उद्विग्नता रहित मन तथा हमारा मस्तिष्क निर्मल हो जाता है।
जब कोई माँ गर्भावस्था में होती है तो भीतर उसका बच्चा 24 घण्टे तक सोता रहता है। तभी तो उसका स्वास्थ्य अच्छा और विकासमान होता है।
मांस, पेशियाँ, कोशिका नींद से ताजा होय।
छः घण्टे की नीन्द से, दिन भर आनन्द होय।।
नीन्द में हमारी देह का प्रत्येक अवयव व्यवस्थित होकर लय और ताल में गतिशील हो जाता है। पैदा होने के बाद बालक 20 घण्टे तक सोता है। ज्यों ज्यों उम्र बढ़ती है 18, 16 या 14 घण्टै तक सोने लगता है। आयुर्वेद के मनिषियों का कहना है कि यदि बुढ़ापे में बालकों जैसी 10 या 12 घण्टे नींद ले ली जाय तो मृत्यु अपने पास नहीं आ सकती है।
अमेरीका के एक विश्वविद्यालय में किये गये अन्वेषण के अनुसार नींद नहीं आने के रोगी मधुमेह तथा मोटापे के जाल में जकड़ जाते है।
क्या आप बता सकते हैं कि नींद क्यों नहीं आती? क्योंकि हम वर्तमान में धुम्रपान, चाय, काॅफी, जर्दा, अल्कोहल, शराब, नींद लाने वाली गोलियाँ, हेरोईन, अफीम, आदि मादक पदार्थो का सेवन करने लग गये है। टी.वी. वीडियों, कम्प्यूटर आदि इन्टरनेट के अधिक उपयोग के कारण मस्तिष्क का स्नायु तन्त्र हमेशा उत्तेजित रहता है। परिणाम स्वरूप व्यक्त् िअनिन्दा का रोगी हो जाता है। इन्सान के निर्णय लेने की क्षमता भी समाप्त हो जाती है। उधेड़बुन प्रतिस्पर्धा, तथा तनाव में आज का व्यक्ति जी रहा है।
अच्छी नींद आने के लिए अपनी दिनचर्या को ठीक से व्यवस्थित कीजिये।
सबसे पहले तो नीन्द नहीं आती, इसके कारणों का पता लगाईये। प्रतिदिन खानपान का ध्यान रखें। नींद आने लगे तो बिस्तर पर ही सोएँ। प्रतिदिन प्राणायाम एवं योगाभ्यास अवश्य करें। कभी अधिक मेहनत करनी पड़ जाये तो एक दम खाना न खाये। बल्कि आराम करें। दिन में सोने की आदत न डाले। रात्रि भोजन हल्का हो। भूत भविष्य की चिन्ता या विचार न करें।
चिन्ता मन में क्यूं करे, होना होय सो होय।
चिन्ता चित्ता समान है, जीवन को मत खोय।।


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