तनाव हर हाल में हानिप्रद

Posted on 02-Jun-2015 11:42 AM




यह तथ्य न केवल सर्वविदित अपितु हर एक का अनुभव भी है कि मौजुदा जीवन शैली व्यस्त और तनावपूर्ण है। युवा, वृद्ध, स्त्री, पुरुष, व्यवसायी और नौकरी पेशा, गरीब-अमीर, हर वर्ग का व्यक्ति तनावग्रस्त है। तनाव का सामान्य अर्थ यों तो मानसिक तनाव से लिया जाता है, पर वस्तुतः तनाव तीन प्रकार के होते हैं- शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक। लम्बे समय तक लगातार एक ही प्रकार का काम और श्रम करने के कारण जो थकान होती है, वह शारीरिक तनाव है। मानसिक तनाव बहुत अधिक सोचने- विचारने या चिंता करने से उत्पन्न होता है। एक घण्टे बाद परीक्षा फल आने वाला है तो दिल की धड़कन बढ़ जाती है, दूर कहीं प्रवास के दौरान परिवार या किसी अपने की याद आ गई और कुशलक्षेम को लेकर चिन्तित हो उठे तो यह भावनात्मक तनाव है।तनाव बहुत अधिक सोचने- विचारने या चिंता करने से उत्पन्न होता है। एक घण्टे बाद परीक्षा फल आने वाला है तो दिल की धड़कन बढ़ जाती है, दूर कहीं प्रवास के दौरान परिवार या किसी अपने की याद आ गई और कुशलक्षेम को लेकर चिन्तित हो उठे तो यह भावनात्मक तनाव है।
अपने को तनावग्रस्त न होने के लिए दृढ़ निश्चय, लगन एवं सतत् निष्ठापूर्वक सद्कार्यों में अपने को नियोजित किए रखना ही सर्वोत्तम उपाय है। सदा सहनशीलता से काम लिया जाए, भविष्य के भय से भयभीत न हुआ जाए, वास्तविकता को दृष्टिगत रखें, काल्पनिक बाधा या आशंका को स्थान न दें और अपने दैनन्दिन कार्य तत्परता से करें। हमेशा आशावान रहें। ऐसा करते रहेंगे तो आप में ऊर्जा बनी रहेगी और रोग भी निकट नहीं आ पाएँगे।


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