Posted on 08-Dec-2015 05:16 PM
मस्तिष्क संबंधी रोगों में सौंफ अत्यंत गुणकारी है। यह मस्तिष्क की कमजोरी के अतिरिक्त दृष्टि - दुर्बलता, चक्कर आना एवं पाचनशक्ति बढ़ाने में भी लाभकारी है। इसके निरंतर सेवन से दृष्टि कमजोर नहीं होती तथा मोतियाबिंद से रक्षा होती है। उलटी, जी मिचलाना, पित्त - विकार, जलन, पेटदर्द, अग्निमांद्य, पेचिश, मरोड़ आदि व्याधियों में यह लाभप्रद है, सौंफ, धनिया व मिश्री का समभाग चूर्ण 6 ग्राम की मात्रा में भोजन के बाद लेने से हाथ-पाँव तथा पेशाब की जलन, अम्लपित्त (एसिडिटी) व सिरदर्द में आराम मिलता है।
सौंफ और मिश्री का समभाग चूर्ण मिलाकर रखें, दो चम्मच मिश्रण दोनों समय भोजन के बाद एक से दो माह तक खाने से मस्तिष्क की कमजोरी दूर होती है तथा जठराग्नि तीव्र होती है। बच्चों के पेट के रोगों में दो चम्मच सौंफ का चूर्ण दो कप पानी में अच्छी तरह उबाल लें। एक चैथाई पानी शेष रहने पर छानकर ठण्डा कर लें। इसे एक-एक चम्मच की मात्रा में दिन में तीन-चार बार पिलाने से पेट का अफरा, अपच, उलटी (दूध फेंकना), मरोड़ आदि शिकायतें दूर होती हैं।
आधी कच्ची सौंफ का चूर्ण और आधी भुनी सौंफ के चूर्ण में हींग और काला नमक मिलाकर 2 से 6 ग्राम मात्रा में दिन में तीन-चार बार प्रयोग कराएं, इससे गैस और अपच दूर हो जाती है। भूनी हुई सौंफ और मिश्री समान मात्रा में पीसकर हर दो घंटे बाद ठंडे पानी के साथ फाकी लेने से मरोड़दार दस्त, आँव और पेचिश में लाभ होता है। यह कब्ज को दूर करती है। बादाम, सौंफ और मिश्री तीनों बराबर भागों में लेकर पीसकर भर दें और रोज दोनों टाइम भोजन के बाद 1 टी स्पून लें। इससे स्मरणशक्ति बढ़ती है। 5-6 ग्राम सौंफ लेने से लीवर ठीक रहता है और आंखों की ज्योति बढ़ती है। (सभी प्रकार के यकृत, खून की कमी , पीलिया , रक्त-विकार, कमजोरी, भूख न लगना, अरुचि, कब्ज, पेट दर्द तथा गैस में अत्यधिक लाभप्रद है।)