अजन्मी बेटी का अपनी माँ के नाम पत्र

Posted on 21-May-2015 12:10 PM




मेरी प्यारी माँ, मैं खुश हूँ और भगवान् से प्रार्थना करती हूं कि आप भी सुखी रहें। यह पत्र मैं इसलिये लिख रही हूं क्योंकि मैंने एक सनसनीखेज खबर सुनी है, जिसे सुनकर मैं सिर से पांव तक कांप उठी।
    स्नेहदात्री माँ! आपको मेरे कन्या होने का पता चल गया है और मुझ मासूम को जन्म लेने से रोकने जा रही हैं - यह सुनकर मुझे तो यकीन नहीं हुआ भला मेरी प्यारी-प्यारी कोमल हृदया मां ऐसा कैसे कर सकती है? कोख में पल रही अपनी लाडली के सुकुमार शरीर पर नश्तरों की चुभन एक मां कैसे सह सकती है?
पुण्यशीला मां! बस, आप एक बार कह दीजिये कि यह जो कुछ मैंने सुना है वह सब झूठा है। दरअसल यह सब सुनकर मैं दहल-सी गयी हूं। मेरे तो हाथ भी इतने कोमल हैं कि इनसे डाॅक्टर क्लीनिक की तरफ जाते वक्त आपकी चुन्नी भी जोर से नहीं खींच सकती ताकि आपको रोक लूं। मेरी बांहें भी इतनी पतली और कमजोर हैं कि इन्हें आप के गलें में डालकर लिपट भी नहीं सकती।
    मधुमय मां! मुझे मारने के लिये आप जो दवा लेना चाहती हैं वह मेरे नन्हे से शरीर को बहुत कष्ट देगी। स्नेहमयी मां! मुझे बहुत दर्द होगा। आप तो देख भी नहीं पाएगी कि वह दवाई आपके पेट के अन्दर मुझे कितनी बेरहमी से मार डालेगी। डाॅक्टर की हथौड़ी कितनी क्रूरता से मेरी कोमल खोपड़ी के टुकडे-टुकडे़ कर डालेगी, उसकी कैंची मेरे नाजुक हाथ-पैरों को काट डालेगी। अगर आप यह दृश्य देखती तो ऐसा करने का कभी सोचती भी नहीं।
    सुखदात्री माँ! मुझे बचाओ ..... कृपा करो, दयामयी मां। मुझे बचाओ.... वह दवा मुझे आपके शरीर से इस तरह फिसला देगी, जैसे गीले हाथों से साबुन की टिकिया फिसलती है। भगवान के लिये मां। ऐसा मत करना। मैं यह पत्र इसलिये लिख रही हूं क्यांकि अभी तो मेरी आवाज भी नहीं निकलती। कहूं भी तो किससे और कैसे? मुझे जन्म लेने की बड़ी ललक है मां! अभी तो आपके आंगन में मुझे नन्हे-नन्हे पैरों से छम-छम नाचना है, आपकी ममता भरी गोद में खेलना है। .... चिन्ता नहीं कर मां! मै। आपका खर्चा नहीं बढ़ाऊंगी । मां! बस एक बार... एक बार मुझे इस कोख से निकलकर चांद-तारों से भरे आपके आसमान तले जीने का मौका तो दीजिये। मुझे भगवान् की मंगलमय सृष्टि का आँगन तो देखने दीजिये।


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