शंख और घण्टे की ध्वनि लाभदायक

Posted on 23-Dec-2015 05:04 PM




1929 ई. में बर्लिन विश्वविद्यालय ने शंख-ध्वनि का अनुसंधान करके यह कह दिया है कि शंख-ध्वनि की लहरें बैक्टीरिया को नष्ट करने के लिये उत्तम एवं सस्ती औषध है। प्रति सेकेंड सत्ताईस घन फुट शक्ति के जोर से बजाया हुआ शंख 2200 फुट दूरी के बैक्टीरिया को नष्ट कर डालता है और 2600 फुट की दूरी तक इस ध्वनि से वे मूच्र्छित हो जाते हैं।
बैक्टीरिया के अलावा इससे हैजा, गर्दन, मलेरिया के कीटाणु भी नष्ट हो जाते हैं और ध्वनि जहाँ से ही जाती है, उस स्थान तथा पास का स्थान निःसंदेह कीटाणु रहित हो जाता है।
मिरगी, मूर्छा, कण्ठमाला और कोढ़ के रोगियों के अंदर शंख ध्वनि की प्रक्रिया होती है और वह रोगनाशक होती है।
शिकागो के डाॅ. व्राइन ने अब तक तेरह सौ बहरे रोगियों को शंख-ध्वनि के माध्यम से ठीक किया है।
अफ्रीका के निवासी घण्टा को बजाकर ही जहरीले सर्प के काटे हुए मनुष्य को ठीक करने की प्रक्रिया को पता नहीं कब से आज तक करते चले आ रहे हैं।
जैसे ही पता चला है कि मास्को सेनिटोरियम में घण्टा-ध्वनि से तपेदिक रोगों को ठीक करने का प्रयोग सफलतापूर्वक चल रहा है, इसके विरोध में एक दावा अदालत में पेश हुआ -’इसकी ध्वनि के कारण मेरा स्वास्थ्य निरन्तर गिरता जा रहा है तथा इससे मेरी काफी शारीरिक क्षति होती है।’
इस बात पर ही अदालत ने तीन प्रमुख वैज्ञानिकों को घण्टा-ध्वनि की जाँच के लिये नियुक्त किया। यह परीक्षण लगातार सात महीनों तक चला और वैज्ञानिक बोर्ड ने यह घोषित किया की घण्टा की ध्वनि से तपेदिक रोग ठीक होता है। तपेदिक के अलावा इससे कई शारीरिक कष्ट भी दूर होते हैं तथा मानसिक उत्कर्ष भी होता है।
शंख समुद्र से निकली एक ऐसी वस्तु है जिसका प्राचीनकाल से ही बड़ा महत्व है। यह अनमोल धरोहर बेहद कीमती है। इसका न सिर्फ पूजा बल्कि स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों, धर्म और ज्योतिष में भी उपयोग किया जाता है। आइए जानते हैं कि शंख का स्वास्थ्य से क्या रिश्ता है। ?
शंख की आकृति और पृथ्वी की संरचना समान है। नासा के अनुसार शंख बजाने से खगोलीय ऊर्जा का उत्सर्जन होता है, जो जीवाणु का नाश कर लोगों में ऊर्जा व शक्ति का संचार करता है।
शंख 100 प्रतिशत कैल्शियम से निर्मित होता है। इसमें रात को पानी भर के पीने से कैल्शियम की पूर्ति होती है और मनोरोगी को लाभ होता है, उत्तेजना कम होती है।
शंख बजाने से योग की तीन क्रियाएँ एक साथ होती हैं, कुम्भक, रेचक, प्राणायाम।
शंख बजाने से हृदयघात, रक्तचाप की अनियमितता, दमा, मंदाग्नि में लाभ होता है।
शंख बजाने से फेफड़े पुष्ट होते हैं।
शंख की ध्वनि से दिमाग व स्नायु तंत्र सक्रिय रहता है और यह स्मृति बढ़ाने में भी सहायक है।


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