स्वतंत्र चिंतन

Posted on 11-Jun-2016 11:24 AM




मानसिक दासता ने हमें हर क्षेत्र में दीन-हीन और निराश-निरुपाय बनाकर रख दिया है। मानसिक मूढ़ता में ग्रसित समाज के लिए उद्धार के सभी द्वार बंद रहते हैं। प्रगति का प्रारंभ स्वतंत्र चिंतन से होता है। समृद्धि साहसी के पीछे चलती है। इन्हीं सत्प्रवृत्तियों का जनमानस में बीजारोपण और अभिवर्द्धन करना अपनी विचार क्रांति का एकमात्र उद्देश्य है।


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