बिना विचारे जो करें सो पिछे पछतावें

Posted on 10-Jun-2016 10:15 AM




एक समय में एक शक्तिशाली राजा राज्य करता था। एक झील उसके महल के चारों ओर फैली थी, साथ ही वहां एक सुंदर बाग भी था। उस झील में बहुत से सुनहरे हंस रहा करते थे। एक दिन एक बड़ी-सुनहरी चिड़िया उड़ती हुई उस झील तक आ पहुंची और पेड़ की डाल पर बैठकर चहचहाने लगी, वह झील में डेरा डालने की सोचने लगी, लेकिन हंसों से उसकी मौजूदगी बर्दाश्त न हुई। हंसों ने पूछा - तुम यहां क्यों आयी हो ? तुम चली जाओ, वरना हम तुम्हें मार डालेंगे। सुनहरी चिड़िया वहां से उड़कर बाग में आ पहुंची और राजा के आने का इंतजार करने लगी। कुछ देर बाद राजा पहुंचा तो सुनहरी चिड़या उससे बोली -महाराज, मैं दूर देश से आयी हूं और यहीं रहना चाहती हूं, लेकिन हंसों ने मुझे भगा दिया। यह सुन कर राजा के गुस्से की सीमा न रही। उसने सैनिकों को आदेश दिया कि उन दुष्ट हंसों का वध कर दिया जाये। सैनिक झील की ओर चल दिये। एक वृद्ध हंस ने जब सैनिकों को नंगी तलवारें हाथ में लिये आते देखा, तो सारा माजरा समझ गया कि क्या होने वाला है। उसने हंसों को एकत्र किया और कहा कि राजा के सैनिक हमें मारने आ रहे हैं। पहले तो सभी हंसने लगे, उन्होंने सोचा कि सैनिक तो रोज ही आते हैं सोने के पंख एकत्र करने, लेकिन जब बुद्धि में स्थिति की गंभीरता समायी तो वृद्ध हंस की सलाह पर अन्य हंसों ने अमल किया और सैनिकों के वहां पहुंचने से पहले उड़ चले। इधर एक अजनबी की सलाह मानने पर राजा पछताने लगा कि क्यों उसने सुनहरे हंसों को मारने की आज्ञा दी ! तब उसे रोजाना सोने के पंख कैसे मिल पाएंगे ? अपने बुरे स्वभाव के कारण सुनहरे हंस झील को छोड़कर जाने को विवश हो चुके थे। सुनहरे हंसों के चले जाने के बाद राजा इतना निराश हुआ कि उसने सुनहरी चिड़िया को भी झील में रहने की अनुमति नहीं दी। यह किंवदंति हमें यह प्रेरणा देती है कि किसी की बातों में आकर उतावलेपन में कोई निर्णय मत लो। प्रथम तो हंसों की तरह जिस किराये के मकान में बैठे हो, उस पर कब्जा मत करो। दूसरी बात, यह शरीर भी नाशवान है, उस परर आधिपत्य जमाकर हंसों की तरह धमण्डी बनकर अनर्थ मत करो। तीसरी बात, राजा की तरह आवेश में आकर छोटी सी बात के पीछे प्राण हरण जैसा दण्ड मत दो। चैथी बात-अनुभवी वृद्ध हंस की जैसे अन्य हंसों ने बात मान ली, वैसे ही हमें भी अनुभवी बुजुर्गों की बात ध्यान से सुनना चाहिये और योग्य लगने पर उसे अवश्य मान लेना चाहियैं


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