विश्वास प्रगति के नये दरवाजे खोलता है

Posted on 25-May-2015 02:50 PM




खुद ही को कर बुलन्द इतना कि हर तहरीर से पहले 
खुदा बंदे से यह पूछे  बता तेरी रज़ा क्या है।
इसी धरती पर कई लोगों ने अपनी जिजीविषा के ज़रिए यह सिद्ध करके दिखाया है कि यदि इच्छाशक्ति प्रबल हो, तो किसी भी सफलता को पाया जा सकता है। इन सभी लोगों के पास इस बात का बहाना बनाने के पर्याप्त कारण थे कि मैं यह काम कर ही नहीं सकता, क्योंकि मैं स्वस्थ नहीं हूँ। इसके विपरीत इन्होंने हमेशा यही सोचा कि ”मैं कुछ भी कर सकता हूँ, क्योंकि मैं मानव हूँ।“
हमें इस बात पर विश्वास करना ही चाहिए कि यदि ईश्वर हमारे लिए एक दरवाज़ा बन्द करता है, तो सैकड़ों अन्य दरवाज़े खोल भी देता है। हमसे चूक यह हो जाती है कि उस एक दरवाज़े के बंद हो जाने के कारण हमारी आँखें भर आती हैं और वे उन सैकड़ों खुले हुए दरवाज़ों को देख नहीं पातीं, जो हमारी प्रतीक्षा कर रहे हैं।

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