साधुता

Posted on 09-May-2015 02:03 PM




संघ के आचार्य के पास एक बार कुछ शिष्य पहुंचे। वे बहुत उत्साहित थे। उन्होंने आचार्य को बताया, हमने पूरे एक महीने तक मौन व्रत का पालन किया।

  • इस दौरान चाहे जितनी परेशानी हुई, बाधाएं आयी, गड़बडि़यां हुई, पर हमने अपना मुंह नहीं खोला। संयम से मौन व्रत पर दृढ़ रहे। 
  • शिष्यों को लगा कि मौन व्रत की इस लंबी साधना के बारे में जानकर आचार्य उन्हें शाबाशी देंगे। लेकिन आचार्य ने नाराज होकर कहा, यह कौनसी सही उपलब्धि है। 
  • तुम लोग तो जानते हो कि अपराध के खिलाफ मौन गलत है। यदि कोई कारण नहीं हो तो पशु भी मौन गलत है। लेकिन वे दूध देते हैं, बोझ उठाते हैं।
  • किसी न किसी तरह दूसरों की मदद करते हैं। मौन रहने में साधुता नहीं, विवेक और संयम से सारगर्भित बोलकर वाणी को पवित्र रचाने में साधुता है। 

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