बेटी बचाने का संकल्प लेकर 53 जोड़े बने जीवन भर के साथी

Posted on 26-May-2015 04:02 PM




नारायण सेवा संस्थान में 53 विकलांग व निर्धन जोड़ों ने थामा एक दूसरे का हाथ

उदयपुर। ’वे निःशक्त भले ही है, लेकिन समाज का अभिन्न हिस्सा है। इन्हें भी जिन्दगी का हर लम्हा खुशी से गुजारने का पूरा हक है।’ यह सन्देश दिया नारायण सेवा संस्थान में आयोजित 24वें निःशुल्क निःशक्त व निर्धन सर्वधर्म सामूहिक विवाह समारोह में संस्थान के बड़ी ग्राम स्थित सेवा महातीर्थ परिसर में दो दिवसीय इस विवाह समारोह के दूसरे दिन 53 जोड़ों ने परिणय सूत्र में बंधकर अपनी जिन्दगी में नये रंग भरने की शुरूआत की। इनमें 30 विकलांग व 23 निर्धन जोड़े थे। जिन्होंने शायद ही कभी यह कल्पना की हो कि जीवन साथी के संग चलने के यह पल उन्हें नसीब होंगे। 

    संस्थान संस्थापक पदम्श्री कैलाश ‘मानव’, सह संस्थापिका श्रीमती कमला देवी अग्रवाल, अन्तर्राष्ट्रीय वैश्य फेडरेशन के कार्यकारी अध्यक्ष श्री सत्यभूषण जैन, नई दिल्ली के भागवताचार्य श्री दयालु जी महाराज, अणुव्रत समिति के अध्यक्ष श्री गणेश डागलिया व संस्थान अध्यक्ष श्री प्रशान्त अग्रवाल ने भगवान गणपति के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन कर विवाह समारोह का शुभारम्भ किया। इस अवसर पर देश के विभिन्न भागों से आए करीब एक हजार अतिथियों की मौजूदगी में इन नवयुगलों ने पवित्र अग्नि के फेरे लेकर आजीवन एक दूसरे का साथ निभाने का संकल्प लिया। इस दौरान वेद मंत्रों के समवेत स्वरों से सेवा महातीर्थ के इर्द गिर्द अरावली पर्वत श्रृंखलाएं भी गुंजायमान हो उठी और हजारों हाथ इन्हे आशीष देने के लिए उठ गए। 
मंत्रियों की मंगलकामनाएं - केन्द्रीय मंत्री डाॅ. हर्षवर्धन, राजस्थान के स्वास्थ्य एवं चिकित्सा मंत्री डाॅ. राजेन्द्र सिंह राठौड़, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री अरूण चतुर्वेदी तथा मुख्य सचिव सी.एस.राजन के शुभकामना संदेश का वाचन श्रीमती वन्दना अग्रवाल ने किया। 

शिव बारात - विशाल मंच पर अतिथियों के दांई-बायी ओर राजस्थान, गुजरात, उडीसा, उत्तर प्रदेश व मध्य प्रदेश आदि राज्यों से आए दुल्हा और दुल्हन विवाह की पारम्परिक वेशभूषा में आसीन थे। मंच पर दिल्ली के कलाकारों ने 30 मिनट की ‘शिव बारात’ नृत्य नाटिका प्रस्तुत की। जिस पर पूरा पाण्डाल झूम उठा। 

हाइड्रोलिक स्टेज पर वर माला- विवाह के लिए 90ग200  वर्ग फिट क्षेत्र में निर्मित विशाल सज्जित पाण्डाल में सभी जोड़ों के लिए अलग-अलग वेदियां बनाई गई थी। पाण्डाल के बायीं ओर घूमता हुआ हाईड्रोलिक स्टेज था जिस पर क्रम वार दुल्हा-दुल्हनों ने परस्पर वरमाला डाली। इस दौरान उन पर गुलाब की पंखुरियों की वर्षा होती रही। स्टेज पर कोई पालकी में तो कोई डोली में आई। प्रमुख आचार्य पण्डित लोकेश पालीवाल के नेतृत्व में प्रत्येक वेदी पर पण्डितों ने शास्त्रोक्त विधी से सात फेरों के बाद उन्हें आठवंे फेरे के रूप में ‘बेटी बचाओ’ का संकल्प कराया। इससे पूर्व दुल्हों ने विवाह मण्डप के मुख्य द्वार पर तोरण मारने की परम्परागत रस्म का निर्वाह किया।

कन्यादान- फेरों के पश्चात देश के विभिन्न भागों से आए अतिथियों ने धर्म माता-पिता के रूप में मंगल सूत्र, पायल, बिच्छीया, कर्ण फूल, नाक की लोंग आदि के साथ कन्यादान की रस्म पूरी की। संस्थान की ओर से भी नवयुगलों को अपनी गृहस्थी बसाने के लिए बर्तन, अलमारी, पंखे, घड़ी वर-वधुओं के लिए वेष व अन्य आवश्यक सामग्री भेट की गई।
ऐसे भी थे नवयुगल- वधु एक हाथ से तो दुल्हा एक पैर से वंचित। वधु विकलांग तो दुल्हा सकलांग। जय भगवान व प्रतिभा दोनों ही विकलांग। हाथ पांव से घिसट कर बैठे-बैठे सरकने वाले वर-वधुओं ने भी जिन्दगी की नई शुरूआत की। कई नवयुगलों का परिचय तो संस्थान में निःशुल्क विकलांगता सुधार, आॅपरेशन के दौरान हुआ और यही उन्होंने स्वरोजगारोन्मुखी मोबाईल रिपेयरिंग, सिलाई प्रशिक्षण व कम्प्यूटर प्रशिक्षण लेकर आत्म निर्भरता की आधारशिला रखी। 

पूर्व विवाहित जोड़े भी आए- इस विवाह समारोह में वे जोड़े भी आए जिन्होंने पूर्व के विवाह समारोह में एक दूसरे का हाथ थामा था और अब वे अपने बच्चो के साथ प्रसन्न है। संस्थान के 15वें सामूहिक विकलांग विवाह समारोह में परिणय सूत्र में बंधने वाले गुडगांव के सोमवीर व उनकी अद्र्धागिंनी कविता ने भी सिकरत की। सोमवीर ने बताया कि सन 2007 में जब वह पोलियों आॅपरेशन के लिए संस्थान में आए थे, जीवन में गहन निराशा थी। घर गृहस्थी की उम्मीद लगभग धुमिल थी। आॅपरेशन के बाद जीवन में ऐसा मोड आया कि उन्हें संस्थान ने आॅपरेशन के दौरान ही जीवन साथी मिल गया। यहीं उन्होंने सिलाई का प्रशिक्षण प्राप्त किया और आज वे अपने शहर में टेलरिंग शाॅप खोल कर गृहस्थी की गाड़ी खुशी से खीच रहे है। पांच वर्ष के बच्चे की किलकारियां उन्हें सुकून देती हंै। 
अतिथियों का सम्मान -संस्थान संस्थापक श्री कैलाश ‘मानव’ व सह संस्थापिका कमला देवी अग्रवाल के आशीर्वचन के पश्चात संस्थान अध्यक्ष श्री प्रशान्त अग्रवाल, निदेशक श्रीमती वन्दना अग्रवाल, श्री जगदीश आर्य व श्री देवेन्द्र चैबीसा ने वधुओं के धर्म माता-पिताओं को मेवाड़ी पाग पहनाकर सम्मानित किया। 

भाव पूर्ण विदाई - फेरों के पश्चात अपरान्ह 3 बजे नवयुगलों को उनके घरों के लिए जब विदाई हुई तब वातावरण अत्यन्त भाव पूर्ण था। सबकी आंखें नम थी । ऐसा लगा मानों वे अपनी ही बेटी को ससुराल के लिए विदा कर रहे है। इन नवयुगलों को गृहस्थी के सामान सहित संस्थान के वाहनों से उनके घर पहुचाया गया। नवयुगलों ने संस्थापक श्री कैलाश मानव व सह संस्थापिका कमला देवी अग्रवाल के चरण स्पर्श कर उनका मंगल आशीर्वाद प्राप्त किया। इस अवसर पर संस्थान के वरिष्ठ साधक श्री दल्लाराम पटेल, श्री भगवती मेनारिया, श्री दीपक मेनारिया, श्री राकेश शर्मा, श्री अखिलेश अग्निहोत्री आदि उपस्थित थे। समारोह का संचालन श्री महिम जैन किया ।


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