हमारी आहार नाल

Posted on 03-Aug-2016 11:50 AM




आहार नाल अग्र भाग में मुख से प्रारंभ होकर पश्च भाग में स्थित गुदा द्वारा बाहर की ओर खुलती है। मुख, मुखगुहा में खुलता है। मुखगुहा में कई दाँत और एक पेशीय जिह्वा होती है। प्रत्येक दाँत जबड़े में बने एक साँचे में स्थित होता है। मुखगुहा एक छोटी ग्रसनी में खुलती है जो वायु एवं भोजन, दोनों का ही पथ है। उपास्थिमय घाँटी ढक्कन, भोजन को निगलते समय श्वासनली में प्रवेश करने से रोकती है। ग्रसिका एक पतली लंबी नली है, जो गर्दन, वक्ष एवं मध्यपट से होते हुए पश्च भाग में थैलीनुमा आमाशय में खुलती है। ग्रसिका का आमाशय में खुलना एक पेशीय आमाशय-ग्रसिका अवरोधिनी द्वारा नियंत्रित होता है। आमाशय गुहा के ऊपरी बाएँ भाग में स्थित होता है, को मुख्यतः तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है- जठरागम भाग जिसमें ग्रसिका खुलती है, फडिस क्षेत्र और जठरनिर्गमी भाग जिसका छोटी आँत में निकास होता है।

छोटी आँत के तीन भाग होते हैं- ‘श्र’ आकार की ग्रहणी, कुंडलित मध्यभाग अग्रक्षुद्राँत्र और लंबी कुंडलित क्षुद्राँत्र। आमाशय का ग्रहणी में निकास जठरनिर्गम अवरोधिनी द्वारा नियंत्रित होता है। क्षुद्राँत्र बड़ी आँत में खुलती है जो अंधनाल, वृहदाँत्र और मलाशय से बनी होती है।


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