हमारी भावनाएं कैसे प्रभावित होती हैं ?

Posted on 08-May-2015 12:49 PM




आप कितना भी प्रयास कर लें परन्तु आप अपनी भावनाओं को नियंत्रित नहीं कर सकते। हाँ, बस आप उन्हें छुपा सकते हैं। भावनाएं हमारे जीवन के हर क्षेत्र को प्रभावित करती हैं। हमारी समस्त भावनाएं चाहे वह क्रोध हो या असुरक्षा विभिन्न कारणों से उत्पन्न होती हैं। ये कारण वंशानुगत, शारीरिक, सामाजिक या सांस्कृतिक हो सकते हैं। अन्य कारण हैं बुद्धि, शारीरिक स्वास्थ्य, माता-पिता, घर का माहौल, नैतिक शिक्षा व मस्तिष्क आदि।
यद्यपि हमारा मस्तिष्क अपनी विशेष संरचना और अनुवांशिक ज्ञान द्वारा भावनाओं को प्रभावित करने के लिए जन्म से ही योग्य होता है, परन्तु बहुत से ऐसे कारण भी हैं जिन्हें मस्तिष्क जन्म के बाद ग्रहण करता है। भावनाओं का सम्बन्ध हमारे व्यक्तित्व, मनःस्थिति, स्वभाव, प्रेरणा, सकारात्मक व नकारात्मक दृष्टिकोण से होता है। यह भी देखा गया है कि नकारात्मक दृष्टिकोण रखने वाले व्यक्तियों की अपेक्षा सकारात्मक दृष्टिकोण वाले व्यक्ति कम बीमार होते हैं। जीवन के प्रति हमारा दृष्टिकोण ही हमारी सकारात्मक या नकारात्मक भावनाओं को सुनिश्चित करता है। हमारे चारों ओर पाया जाने वाला वातावरण भी कभी-कभी हमारी भावनाओं को प्रभावित करता हैं। उदाहरण के लिए, यदि कोई व्यक्ति चिन्ताग्रस्त हो और उसके पास मौजूद लोग भी चिन्ता का प्रदर्शन करने लगे तो उसकी चिन्ता और अधिक बढ़ जाती है। इसी प्र्रकार यदि कोई व्यक्ति हँस रहा हो तथा कुछ और लोग भी उसके पास हास्यपूर्ण वातावरण पैदा कर दें तो उस व्यक्ति की हँसी में भी वृद्धि हो जाती है। बहुत से रोते हुए लोग यदि किसी रोते हुए व्यक्ति के पास आ जाएं तो उसकी रोने की भावना और अधिक बढ़ जाती है, अर्थात्, दूसरों की भावनाएं हमारी भावनाओं में तीव्रता पैदा कर देती हैं। इसी प्रकार चिड़चिड़ाहट पैदा करने वाली आवाज़, शारीरिक असुविधा, चलने फिरने पर पाबंदी या मौसम का अत्यधिक गर्म व ठण्डा होना, आदि कुछ ऐसे कारण हैं जो किसी को भी क्रोधित कर सकते हैं जबकि उसको वास्तविक क्रोध न आ रहा हो या उसे क्रोध का कारण भी न पता हो। इसके विपरीत, सुन्दर, वातावरण, पर्याप्त सुविधाएं, मैत्रीपूर्ण व्यवहार व्यक्ति की प्रसन्नता और आशा को बढ़ा देते हैं। ये सभी बाहरी कारक हमारी भावनाओें को प्रभावित करते हैं जिन पर हमारा कोई नियंत्रण ही नहीं होता।


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