पति-पत्नी की खुशी का राज

Posted on 15-May-2015 10:37 AM




चेतना के स्तर पर पति-पत्नी को समझ आने लगती है यानी पति यह समझ जाता है कि खुश रहना है तो कान दान करो और पत्नी यह समझ जाती है कि खुश रहना है तो जुबान दान करो।
जब पत्नी जुबान दान करेगी यानी वह जब यह इशारा पकड़ेगी कि पति इस वक्त कुछ सुनना नहीं चाहता, वह अकेले रहकर समस्या को सुलझाना चाहता है तब वह खुद भी मौन में जायेगी। वह तुरंत चुप हो जायेगी। इस तरह उस वक्त वह अपनी जुबान दान करेगी क्योंकि जैसे ही समस्या सुलझ जायेगी, पति उसके पास ही दौड़कर आयेगा क्योंकि शांत रहकर पत्नी ने अपने पति को सहयोग किया। पति को तब बहुत अच्छा लगता है जब उसकी पत्नी समय पर उसकी मदद करती है।

केवल पत्नी यह समझे कि उसे अपने तरीके से पति की मदद नहीं करनी बल्कि पति जैसी मदद चाहता है वैसी मदद उसे करनी है। हर पत्नी अपने पति को मदद करना चाहती है लेकिन उसे पति का स्वभाव यानी उस माईक का सिस्टम मालूम नहीं इसलिए वह अपने तरीके से मदद करना चाहती है। कब माईक में सायरन बजने लगता है, कब ट्यनिंग बिगड़ जाती है, उसे यह पता नहीं। जब समझ बढ़ने लगती है और वह पति को थोड़ा समय देने लगती है तब उसे महसूस होता है कि उसने जुबान दान की यानी वह शांत भी रही और कार्य समाप्त होने पर उसने पति की प्रशंसा भी की तो बहुत बड़ा काम हुआ। कारण पुरुष प्रशंसा सुनकर ही अपने बारे में समझ पाता है क्योंकि पुरुष बुद्धि में ंज्यादा रहते हैं  और महिलाएँ हृदय पर ज्यादा रहती हैं।


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