राम नाम निज मूल है, कहै कबीर समुझाय

Posted on 03-Jul-2016 12:44 PM




दोहावली

राम नाम निज मूल है, कहै कबीर समुझाय।

दोई दीन खोजत फिरै, परम पुरुष नहिं पाय।।

इस संसार सागर में राम का नाम ही मुख्य है अर्थात सत्य स्वरुप राम का नाम ही मोक्ष प्राप्त करने का आधार है। हिन्दू और मुसलमान भेदभाव के भ्रम में पड़कर खोजते फिरते हैं अर्थात् हिन्दू राम को ढंूढते हैं और मुसलमान अल्लाह को जबकि दोनों एक हैं। चहै अकाश पताल

जा, फोड़ि जाहु ब्रह्माण्ड। कहैं कबीर मिटिहै नहीं, देह धरे का दण्ड।।

कबीर दास जी जीव को समझाते हुए कहते हैं कि चाहे आकाश पाताल में ले जाओ या ब्रह्माण्ड फोड़कर निकल जाओ किन्तु तुम्हें शरीर धारण करने का दण्ड भोगना ही होगा अर्थात् प्रारब्ध का भोग भोगना ही होगा चाहे कोई भी उपाय करो।


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