07-Aug-2016
अद्यात्म

सन्त, कपूर की लौ हैं जो रोशनी फैलाती है (अद्यात्म)

इन्द्रियाँ अग्नि की तरह हैं। तुम्हारा जीवन अग्नि के समान है। इन्द्रियों की अग्नि में जो कुछ भी डालते हो, जल जाता है। यदि तुम गाड़ी का टायर जलाते हो, तो दुर्गन्ध निकलती है और वातावरण दूषित होता है। परन्तु यदि तुम चन्दन की लकड़ी जलाते हो, तो चारों ओर सुगन्ध फैलती है। कोई अग


04-Aug-2016
अद्यात्म

गुरू अष्टकम्, श्रीमद् आद्य शंकराचार्यविरचितम् (अद्यात्म)

1. यदि शरीर रुपवान हो, पत्नी भी रूपसी हो और सत्कीर्ति चारों दिशाओं में विस्तरित हो, मेरु पर्वत के तुल्य अपार धन हो, किंतु गुरु के श्रीचरणों में यदि मन आसक्त न हो तो इन सारी उपलब्धियों से क्या लाभ । 2. सुन्दरी पत्नी, धन, पुत्र-पौत्र,


02-Aug-2016
अद्यात्म

सफलता प्राप्ति का आध्यात्मिक नियम (अद्यात्म)

सफलता का आध्यात्मिक नियम “अनासक्ति का नियम” है। इस नियम के अनुसार व्यक्ति को भौतिक संसार में कुछ भी प्राप्त करने के लिए वस्तुओं के प्रति मोह त्यागना होगा। लेकिन इसका मतलब यह भी नहीं है कि वह अपनी इच्छाओं को पूरा करने के लिए अपने उद्देश्यों को ही छोड़ दे। उसे


01-Aug-2016
अद्यात्म

प्रभु के आशीर्वाद के लिए प्रार्थना करें (अद्यात्म)

ध्यान टिकाने की कला बहुत से लोग सीखना चाहते हैं, परंतु अलग-अलग कारणों से। कुछ लोग शांति पाने के लिए इसे सीखना चाहते हैं तो कुछ लोग शारीरिक स्वास्थ्य में लाभ के लिए। कुछ लोग इसका अभ्यास अपनी एकाग्रता बढ़ाने के लिए करते हैं, ताकि अपने काम या अध्ययन में बेहतर हो पाएं। कुछ इ


31-Jul-2016
अद्यात्म

चार हाथ (अद्यात्म)

एक मिल मालिक के दिमाग में अजीब-अजीब ख्याल आया करते थे। जैसे सारा संसार मिल हो जाएगा, सारे लोग मजदूर और वह उनका मालिक या मिल में और चीजों की तरह आदमी भी बनने लगेंगे, तब मजदूरी भी नहीं देनी पड़ेगी, वगैरा-वगैरा। एक दिन उसके दिमाग में ख्याल आया कि अगर मजदूरों के चार हाथ हो त


30-Jul-2016
अद्यात्म

तप से अधिक महत्व है सत्संग का (अद्यात्म)

एक बार महर्षि वशिष्ठ महर्षि विश्वामित्र के आश्रम में गए। महर्षि विश्वामित्र ने वशिष्ठ का बड़ा स्वागत - सत्कार और आतिथ्य किया। जब वशिष्ठ जी चलने लगे तो विश्वामित्र ने उन्हें अपनी दस वर्ष की तपस्या का पुण्यफल उपहास्वरूप भेंट किया। बहुत दिनों बाद संयोगवश विश्वामित्र जी महर्


28-Jul-2016
अद्यात्म

चंद्रमा मनसो जायते (अद्यात्म)

अकसर यह सवाल सबके मन में आता है कि भगवान श्रीकृष्ण के भांजे और अर्जुन के पुत्र अभिमन्यु महाभारत के युद्ध में सबसे पहले वीरगति को क्यों प्राप्त हुए ? इसके पीछे एक रोचक कथा है। इसी कथा में यह भी पता लगता है कि किन देवताओं और राक्षसों ने नया जन्म लेकर महाभारत का युद्ध लड़ा।


26-Jul-2016
अद्यात्म

आनंद के पर्याय है श्रीकृष्ण (अद्यात्म)

मान्यता है कि एकमात्र पूर्ण अवतार श्री कृष्ण ही हुए हैं। बाकी अवतार अंश यानी छह,आठ,दस या बारह कलाओं के अवतार हैं। श्रीकृष्ण सोलह कलाओं के अवतार हैं। सोलह कलाओं में मनुष्य और दिव्य की जो भी क्षमतायें हो सकती हैं, पूरी तरह निखर कर आती हैं। फिर श्रीकृष्ण स्वयं भी कहते हैं


23-Jul-2016
अद्यात्म

मानस योग साधना (अद्यात्म)

बड़े भाग मानुष तन पावा। सुर दुर्लभ सद ग्रंथन्हि गावा।। &


23-Jul-2016
अद्यात्म

मोक्ष प्राप्त करने का सरल उपाय चार पुरूषार्थ (अद्यात्म)

कर्तव्य पालन की इच्छा में व्यवधान आने से क्रोध उत्पन्न हो जाता है और कर्तव्य पालन की इच्छा पूर्ण होने से लोभ उत्पन्न हो जाता है। जो मनुष्य दोनों स्थितियों में सम-भाव में रहता हुआ निरन्तर अपने कर्तव्य पालन में लगा रहता है, वह क्रोध, लोभ और कामना रूपी सीढ़ियों को पार करके